सप्तम दिवस पर कृष्ण सुदामा प्रसंग के साथ कथा का हुआ समापन
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। कृष्णा नगर कॉलोनी निकट ओम शांति निकेतन पब्लिक स्कूल कादरी गेट में श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवसीय विश्राम दिवस पर भागवत आचार्य कथा व्यास बजरंगी महाराज ने कहा जीवन और मृत्यु का यह चक्र है। इसमें मृत्यु निश्चित है, इस महोत्सव के रूप में मनाना चाहिए, लक्ष्मी का अवतार है, रुक्मणी जी जब लक्ष्मी अकेली आती है तो चंचल हो जाती है और जब नारायण के साथ में आती है तो रिद्धि सिद्धि सुरुचि प्रदान करती है्र जिसे लक्ष्मी को चाहना है उसे श्री हरि का आवाहन करना चाहिए।लक्ष्मी से दो रिश्ते बनाने चाहिए, एक मां का दूसरा बेटी का। हमारे यहां भामाशाह को नरकासुर कहा जाता है। अंत में भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका वध किया। सभी प्रजाजन सुखी हो गए। कैद में बंद 16108 राजकुमारी को उन्होंने मुक्त कराया। राजकुमारी ने श्री कृष्ण को ही अपने पति रूप में स्वीकार किया। श्रीकृष्ण ने भी उनका पत्नी रूप में स्वीकार किया। भगवान को दीनबंधु इसीलिए कहा जाता है कि वे दोनों पर दया करने वाले हैं। उन्होंने सुदामा चरित्र का सुंदर वर्णन करते हुए कहा सुदामा एक बहुत ही सजन व साधु पुरुष है वह कृष्ण के परम मित्र हैं। अर्थात प्रशांत आत्मा में कभी क्रोध नहीं आता है। भगवान श्रीकृष्ण की दरिद्रता को उन्होंने अपने ऊपर ले लिया। आपने बनवारी तेरी यारी ने दीवाना बना दिया, गोविंद हरे गोपाल हरे आदि भजनों से सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया। सियाराम में सब जग जाने करूं प्रणाम जोर-झुक पानी आपने कहा विरक्त वह नहीं है। हमारे यहां विधर्मियों ने 800 वर्ष तक राज्य किया। जिसमें हमारे पूर्वजों ने बहुत ही संघर्ष स्थिति का सामना किया। इसके लिए हमें दुषटो का संघर्ष करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कथा परीक्षित धर्मपत्नी छोटे त्रिवेदी ने भावपूर्ण कथा को बहुत ही सुंदर तरीके से श्रवण किया। इस मौके पर प्रमोद दीक्षित, राघव शुक्ला, अनुज मिश्रा, आशीष शुक्ला सहित बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।