तीनों हिन्दी प्रेमियों के अथक परिश्रम और तपस्या का ही परिणाम है: डा0 रजनी सरीन
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था अभिव्यजना ने पुरूषोत्तम दास टंडन, प्रेम चंद्र तथा मैथिलीशरण गुप्त की जयंती समारोह सयुक्त रूप से डा0 रजनी सरीन के आवास पर संपन्न हुई। वक्ताओं ने तीनों हिंदी सेवियो की हिंदी सेवा पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि प्राचार्य बद्री विशाल कालेज डा0 रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा कि तीनों महापुरुषों का हिंदी पर बहुत बड़ा तीन हैं। हिंदी विद्वान डा0 राजकुमार सिंह ने कहा कि पुरुषोत्तम दास टंडन दृढ़ व्यक्तित्व के धनी थे। उनका निश्चय अटल होता था। हिंदी को उसकी प्रतिष्ठा दिलाने में न होने पूरा जीवन लगा दिया।
डा0 संतोष पाण्डेय राष्ट्रकवि ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त की कविताओं मे भारत की आत्मा बोलती है, वह भारतीय संस्कृति के व्याख्याता महाकवि के रूप में प्रतिष्ठित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही संस्था प्रमुख डा0 रजनी सरीन ने कहा कि टंडन, प्रेम चंद्र, गुप्तजी हिंदी के ब्रह्मा विष्णु शिव है। इन तीनो हिंदी सेवियों के अथक परिश्रम और तपस्या का ही परिणाम है, हिंदी आज विश्व पटल पर एक सशक्त और समर्थ भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। संस्था समन्वयक भूपेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने उपन्यास और कहानियों में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद की प्रतिष्ठा की। जवाहर सिंह गंगवार ने कहा कि प्रेम चंद्र जनता की दबी कुचली आवाज थे। कवि सम्मेलन में एजाज वारसी, डा0 कृष्णकांत अक्षर, भारती मिश्रा, प्रीति तिवारी, डा0 संतोष पाण्डेय, सुधांशु शर्मा ने अपनी कविताओं का रसास्वादन कराया। इस मौके पर डा0 हरिदत्त द्विवेदी, आलोक रायजादा, आलोक पांडेय, संजय गर्ग, त्रिलोकीनाथ गुप्त, कैलाश कटियार, उदय बाथम, ईशान, देवकीनंदन गंगवार, डा0 प्रभात अवस्थी, राममुरारी शुक्ला, रविंद्र भदौरिया, रूद्र नारायण त्रिपाठी, अजय प्रताप सिंह आदि लोग मौजूद रहे।