फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए चलेगा एमडीए अभियान

  • एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण हुआ संपन्न
  • 10 अगस्त से 2 सितम्बर तक घर-घर खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा
  • जनपद में 370 हाथीपांव के व 524 हाईड्रोसिल के हैं मरीज

राहुल सोनी
बहराइच समृद्धि न्यूज़ जनपद में फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 अगस्त से 2 सितम्बर तक सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए) चलाया जाएगा। इस अभियान में स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। यह दवाएं किसी भी रूप में बाद में खाने या घर ले जाने के लिए नहीं दी जाएंगी। अभियान के सफल संचालन के लिए जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है, जो बाद में ब्लाक स्तरीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय कुमार शर्मा ने मंगलवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित ब्लॉक और शहरी स्तरीय अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने बताया कि जनपद में 370 हाथीपांव के व 524 हाईड्रोसिल के मरीज हैं। आगे यह बीमारी किसी और को न हो इसके लिए सभी ब्लॉक स्तरीय अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र का माइक्रोप्लान जल्द ही तैयार कर लें ताकि कोई भी पात्र दवा सेवन से वंचित न रह जाय।

लक्षण होने से पहले करें बचाव

पाथ संस्था के आरएनटीडी नोडल डॉ. आशुतोष अभिषेक ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है जो व्यक्ति को कमजोर और अपाहिज कर देती है। इसमें शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन फाइलेरिया से बचाव की दवा डीईसी और एल्बेण्डाजोल का सेवन वर्ष में एक खुराक और लगातार 5 वर्ष तक सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।

ऐसे काम करती है फाइलेरिया रोधी दवा

डॉ. आशुतोष अभिषेक ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं, जैसे डीईसी और एल्बेण्डाजोल, शरीर में फाइलेरिया के कृमियों को नष्ट करती हैं। डीईसी माइक्रोफिलारिया को मारता है, जबकि एल्बेण्डाजोल वयस्क कृमियों को नष्ट करता है। यह संयोजन शरीर में मौजूद कृमियों की संख्या को कम करता है और नए संक्रमणों को रोकता है।

घर-घर खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा

नोडल अधिकारी डॉ. संजय सोलंकी ने कहा कि 10 अगस्त से एमडीए अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी व्यक्तियों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगी। दवा का सेवन खाली पेट नहीं कराया जाएगा। गर्भवती महिलाओं, एक साल से कम उम्र के बच्चों और गंभीर रूप से बीमार रोगियों को छोड़कर सभी को दवा का सेवन कराया जायेगा ।

सुरक्षित हैं दवाएं

जिला फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी दीपमाला ने कहा कि डीईसी और एल्बेण्डाजोल दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। लेकिन जिन व्यक्तियों में सूक्ष्म फाइलेरिया के लक्षण हैं, उन्हें दवा सेवन के बाद मतली, उल्टी, बुखार, खुजली और सिरदर्द जैसे दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है। यह शरीर में मौजूद सूक्ष्म फाइलेरिया कृमि के नष्ट होने के कारण होता है, जो कुछ घंटों में स्वतः ठीक हो जाता है। हालाँकि इस स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सकों की रैपिड रिस्पांस टीम भी सहयोग करेगी। साथ ही ऐसे व्यक्तियों को स्वस्थ होने के बाद स्वयं और घर के सभी सदस्यों को दवा का सेवन अवश्य कराना चाहिए।

बूथ पर भी दी जाएगी दवा

प्रशिक्षक व डीसीपीएम मो राशिद ने बताया कि अभियान के दौरान सभी सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान आरोग्य मंदिर और अस्पताल में आने वाले मरीजों को भी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जाएगा।
इस मौके पर डब्ल्यूएचओ और पीसीआई के प्रतिनिधि, सीएचसी अधीक्षक , सहायक मलेरिया अधिकारी , फाइलेरिया इंस्पेक्टर और बीसीपीएम, बीपीएम मौजूद रहे।

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