रात के अंधेरे में किया जाता है आम के बाग में कटान
शमशाबाद/कमालगंज, समृद्धि न्यूज। लकड़ी माफिया ने दिनदहाड़े काट डाले आम के हरे बरे वृक्ष। वहीं वनविभाग व पुलिस सब जानकर भी अंजान बनी हुई है। जिससे लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
विकासखंड शमशाबाद क्षेत्र के ग्राम मंझना में दिनदहाड़े आम के हरे भरे प्रतिबंधित वृक्षों को एक लकड़ी माफिया गिरजा शंकर द्वारा कटवाया जा रहा है। ग्र्रामीणों की शिकायत पर जब वन विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच पड़ताल की गई तो पूरा मामला ही सामने आ गया। जानकारी करने पर बाग मालिक ने बताया कि उसने अपने बाग में खड़े तीन आम व दो जामुन के पेड़ों को लकड़ी माफिया गिरजा शंकर को बेंच दिया था। जिसे उसके द्वारा आज कटवाया गया है। मालूम रहे विकास खंड शमसाबाद क्षेत्र के ग्राम मंझना में स्थित एफसीआई केंद्र के पीछे कुछ दूरी पर स्थित बाबूराम के आम के बाग में खड़े आम व जामुन के पेड़ों को लकड़ी माफिया गिरजाशंकर द्वारा रात्रि के अंधेरे में चार आम के हरे भरे वृक्षों को सौदा होने के बाद कटवाया गया था। हालांकि वन विभाग के अधिकारी इस बात से इनकार करते रहे। जब इस संबंध में क्षेत्रीय वन अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। तीन आम और दो जामुन के वृक्ष लकड़ी माफिया द्वारा काटे गए। लकड़ी माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।वहीं कमालगंज प्रतिनिधि के अनुसार थाना क्षेत्र के गांव कल्लू नगला में धड़ल्ले से हरे आम के पेड़ों को काटा जा रहा है। जिसकी सुध लेने वाला कोई भी अधिकारी नहीं है। खास बात तो यह है कि रात में एक-एक करके पेड़ काटे जा रहे हैं। प्रशासन की मिली भगत से लकड़ी माफिया में कोई डर खौफ नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां लकड़ी के माफिया रात में आते हैं तथा आरा ड्रिल मशीन से रात में हरे आम के पेड़ों की कटाई की जाती है तथा मजदूर और ट्रैक्टर साथ में होते हैं। इधर पेड़ कटता है, उधर टार्च की रोशनी में गाड़ी में लोड होता है और तुरंत वहां से चला जाता है। खास बात यह है कि मजदूरों के द्वारा वहां पर इस कदर लकड़ी की बनाई की जाती है कि वहां एक भी लकड़ी न रहने दी जाती है जहां सरकार पेड़ लगाने के लिए अभियान चला रही है जहां स्कूल की दीवारों में तथा अन्य सरकारी संस्थानों में वृक्ष लगाओ पर्यावरण बचाओ वृक्ष हमारी जान है, वृक्ष हमें ऑक्सीजन देते हैं के नारे लगाए जाते हैं। वहीं लकड़ी माफिया कटान करने से पीछे नहीं हटते हैं। हालत यह है की इन लकड़ी माफियाओं के आगे वन विभाग से लेकर पुलिस विभाग तक बेबस नजर आ रहा है