जहरीले कीड़े के काटने से युवती की हालत बिगड़ी
कंपिल, समृद्धि न्यूज। गंगा में आई बाढ़ से तराई क्षेत्र के गांवों की स्थिति खराब होती नजर आ रही है। इन गांवों के आसपास सैकड़ों एकड़ भूमि पर खड़ी ईख, मक्का, धान व घुइयां की फसलें बाढ़ के पानी से डूब गई हैं। प्रशासन की ओर से राहत देने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश होने से डैम फुल हो गये। ऐसे में नरौरा, हरिद्वार, बिजनौर डैम से गंगा नदी में पानी डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद नदी में उफान आ गया और क्षेत्र के करीब एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हो गये। इकलहरा से शाहपुर जाने वाले मार्ग पर पानी बह रहा है। जिससे आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में क्षेत्र के गांव पथरामई के मजरा टपुआ, चौड़ेरा निवासी रक्षपाल की पुत्री संगीता सोमवार शाम को कंडे लेने गयी थी। उसी समय उसे जहरीले कीड़े ने काट लिया। स्वजनों ने घर पर ही रखी दवाइयां खिला दी। बुधवार सुबह युवती की हालत बिगड़ गयी। सडक़ कटने से आवागमन न होने के कारण स्वजन युवती को इलाज के लिए नहीं ले जा सके। दोपहर तक वह उसे कड़ी मशक्कत के बाद नाव द्वारा पड़ोसी गांव के एक हकीम के पास ले गए। पथरामई गांव में नदी के कटान की गति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह गांव इस मानसून सत्र में इतिहास की विषय वस्तु बन जाएंगे। नदी का रौद्र रुप देख सहमे ग्रामीण अपने ही हाथों अपना आशियाना उजाड़ दूर बसने के लिए पलायित हो रहे हैं। प्रशासन द्वारा सुधि न लिए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने ऊंचे स्थान पर मौजूद खेतों में पॉलीथिन व झोपडिय़ां डालकर आशियाना बना लिया है उन्ही झोपडिय़ों में पॉलीथिन के सहारे गुजर बसर कर रहे हैं। कम्पिल-बदायूं मार्ग पर बाढ़ का पानी तेज धार से बहने लगा है और जगह जगह गड्ढे हो गए हैं
आंख में आंसू लिए किसान जद्दोजहद में जुटा
लगातार हुई बारिश और उसके बाद गंगा नदी के जलस्तर ने अपने साथ तमाम किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है। ऐसे में बेबस किसान इस आपदा में बर्बाद हुई फसल को कभी निहारता है तो कभी किस्मत को कोसता है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर दवाई तकए मकान से लेकर शाद, ब्याह व तीज त्योहार तक का दारोमदार उसकी फसल पर ही निर्भर रहता है है। पानी में डूब कर बर्बाद हो चुकी फसल से कुछ खाने के दाने हाथ लगने की आस में आंख में आंसू लिए किसान जद्दोजहद में जुटा हुआ है।