बाढ़ का दंश झेल रहे साधु संतों ने बयां किया दर्द

जिला प्रशासन से बाढ़ राहत सामग्री की दरकार
शमशाबाद, समृद्धि न्यूज। ढाईघाट गंगा तट पर कुटिया बनाकर रह रहे साधु संत बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। उनका कहना है कि बाढ़ का पानी उनकी कुटिया में घुस गया है। जिससे उनकी खाद्य सामग्री आदि भीग गयी है, जबकि प्रशासन ने उनकी कोई सुधि अभी तक नहीं ली है।
जानकारी के अनुसार गंगा नदी में विभिन्न बैराजों से छोड़े गये पानी से कई गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। ढाईघाट गंगा तट पर कुटिया बनाकर रह रहे साधु संत भी इससे अछूते नहीं हैं। वह भी बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। उनका कुटिया में पानी भर गया। जिससे कुटिया में रखा सारा सामान भीग गया है। अब उनके सामने खाने पीने का संकट खड़ा हो गया है। प्रशासन ने अभी तक उनकी सुधि नहीं ली है। जिससे उनमें प्रशासन के प्रति रोष है। उनका कहना है कि अभी तक कोई का कोई भी अधिकारी उनके हालचाल लेने नहीं आया है। उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से बाढ़ राहत सामग्री बांटी जा रही है, जबकि हम साधु संतों को बाढ़ राहत सामग्री से वंचित रखा जा रह है। साधु संतों ने कहा हम मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हैं कि हम साधु संतों का भी दुख दर्द सुनें। साधु ब्रह्मानंद, अमृतानंद, तुलसी चेतन, जगन्नाथ प्रताप दास, गुरु चरण दास, प्रेमदासी, माया मस्त, मुनि मनोहर दास, राघव दास, महात्मा रामदास, राधे गोविंद, मेघनाथ, राघव दास, शिवानंद, मोहनानंद, छबीलानंद, सनकी बाबा सागर दास, फरारी बाबा श्यामानंद नारायण दास, सत्य मुनि मस्तगिरी लक्कड़ दास, कल्याण दास, मलैया वाले बाबा, योग स्वरूप भगवान दास, सर्वेशानंद, मोहिनाथ, रामनाथ, हरिदास, सोनपाल दास ,नरेंद्र दास, राम चैतन्य, प्रेमपुरी आदि साधु संत कल्पवास कर रहे हैं।

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