बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई। राजेश चौधरी, नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में जंगल में लगी आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदम के बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आग के कारण राज्य के केवल 0.1 फीसदी वन्यजीव इलाका प्रभावित हुआ है।
उत्तराखंड के जंगलों की आग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार से कहा है कि कृत्रिम बारिश उपाय नहीं है. इस पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए आपको कदम उठाने होंगे. इस मामले में 15 मई को अगली सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीईसी (केंद्रीय उच्चाधिकार समिति) से दोनों पक्षों को दस्तावेज देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उत्तराखंड में जंगलों की आग इस कदर फैली है कि उसे पूरी दुनिया देख रही है. इसके चलते पांच लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि नवंबर 2023 से लेकर अबतक जंगल में आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं. ये सभी घटनाएं लोगों द्वारा अंजाम दी गईं. याचिका में भी बताया गया है कि उत्तराखंड में आग लगने की 398 घटनाएं हो चुकी हैं. 62 नामजद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. साथ ही मांग की गई है कि जंगलों की आग के लिए एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए. बताते चलें कि राज्य के जंगलों में लगी आग ने सरकार की नींद उड़ा रखी है. सीएम धामी लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं और मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इस बाबत उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की.