तबला वादक जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया, उनके परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी. हुसैन का निधन उनके परिवार के अनुसार, इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुआ. वह 73 वर्ष के थे. पिछले दो सप्ताह से वह अस्पताल में भर्ती थे और बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था. हुसैन के निधन पर आधिकारिक बयान में उनके परिवार ने कहा, ‘एक शिक्षक, मार्गदर्शक और शिक्षक के रूप में उनके शानदार कार्य ने अनगिनत संगीतकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है. उन्हें उम्मीद थी कि वे अगली पीढ़ी को और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. वे एक सांस्कृतिक राजदूत और अब तक के सबसे महान संगीतकारों में से एक के रूप में एक अद्वितीय विरासत छोड़ गए हैं.’
संगीत की दुनिया में मिले कई पुरस्कार
जब तबले का जिक्र आता है तो सबसे बड़े नामों में उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खां की पंजाब घराने (पंजाब बाज) की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि तबले के शास्त्रीय वादन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले गए। उस्ताद को संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवॉर्ड 1992 में ‘द प्लेनेट ड्रम’ और 2009 में ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ के लिए मिला। इसके बाद 2024 में उन्हें तीन अलग-अलग संगीत एलबमों के लिए एकसाथ तीन ग्रैमी मिले। 1978 में जाकिर हुसैन ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनीकोला से शादी की थी। उनकी दो बेटियां हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी।
जाकिर हुसैन का जन्म 1951 में हुआ
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को मुंबई के माहिम में प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्लारखा के घर हुआ था. हुसैन का झुकाव बहुत कम उम्र में ही तबला बजाने की ओर हो गया था. उन्होंने 3 साल की उम्र में अपने पिता से मृदंग (शास्त्रीय ताल वाद्य) बजाना भी सीखा और 12 साल की उम्र में ही संगीत समारोहों में प्रस्तुति देने लगे. एक प्रतिभाशाली बालक हुसैन ने रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा सहित भारत के लगभग सभी दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया. भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक तालवादक जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है.