ज्ञानवापी मामल में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें ‘व्यास तहखाना’ के अंदर देवताओं की पूजा करने की अनुमति दी गई थी। अब जब सु्प्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है तो ज्ञानवापी में व्यास जी के तहखाने में पूजा जारी रहेगी।
CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिंदू और मुस्लिम पक्षों को ज्ञानवापी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.सोमवार, 1 अप्रैल को शीर्ष अदालत में मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी.सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा था. बता दें कि जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने के अंदर पूजा की अनुमति दी थी.ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद ज्ञानवापी में व्यास जी के तहखाने में पूजा जारी रहेगी। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना करने की अनुमति प्रदान की थी। इसके खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक से इनकार कर मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कि 17 जनवरी और 31 जनवरी के आदेशों के बाद भी मुस्लिम वर्ग द्वारा ज्ञानवापी में नमाज अदा की जा रही है। वहीं हिंदू पुजारी द्वारा भी तहखाने में पूजा की जा रही है। ऐसे में यथास्थिति को बनाए रखना सही है। सुप्रीम कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की अपील पर हिंदू पक्ष को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जिला अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक पुजारी द्वारा व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना की जाएगी। जिला अदालत में याचिका दायर करने वाले पुजारी ने बताया कि उनके दादा व्यास जी दिसंबर 1993 तक तहखाने में पूजा अर्चना करते थे। हालांकि बाद में इस पर रोक लगा दी गई। जिला अदालत के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को पहले हाईकोर्ट जाने को कहा। अब मसाजिद कमेटी को हाईकोर्ट से निराशा मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है।