भागवत गीता मानवीय जीवन की सभी समस्याओं का समाधान: डॉ शिवओम अंबर

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। गीता जयन्ती के उपलक्ष्य में राधा श्याम शक्ति मंदिर लोहाई रोड के प्रांगण में आध्यात्मिक चिंतक एवं राष्ट्रीय कवि डॉ0 शिव ओम अम्बर ने गीता के गूढ़ रहस्य पर व्याख्यान माला के पहले दिन कहा कि गीता को भली भांति अध्ययन-चिंतन-मनन् के साथ अपने आचरण में उतारें, अपने अत: कारण में धारण करें यह भगवान कृष्ण की परा वाणी है। श्रीमद् भगवतगीता मानव जीवन के विषाद से प्रसाद तक की यात्रा-कथा है। एक ओर उपनिषदों का सार है तो दूसरी ओर उपदिष्ट भोग शास्त्र के तत्वो का विवेचन है। गीता सामान्यत: उपनिषद अरण्यभूमि (वन) में कही गयी एक मात्र उपनिषद है रणभूमि में कही गयी गीता सूत्र वाक्य है मंन्त्र हैं। कृष्ण भगवान की परावाणी एवं पश्यन्ती वाणी है। उन्होंने कहा की अन्यशास्त्रों के विस्तार में भटकने की आवश्यकता नहीं है। गीता का प्रत्येक श्लोक मंन्त्र है इसको आत्मसात करते हुये अपने आचरण में उतारें और सुख: मय जीवन शैली बनायें गीता मानव जीवन का आधार है।उन्होंने कहा कि श्रीमद् भगवतगीता के 18 अध्यायों के 700 श्लोका मानव जीवन की जीवन शैली है जो भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को सुनाई गयी परावाणी है। वर्तमान समय में गीता सभी समस्याओं का समाधान है। गीता ज्ञान का अमृत है इसका अध्ययन, आत्म सात करके अपने जीवन के आचरण में उतार में भगवान कृष्ण (परमात्मा) के साथ योग करते हुये निष्काम भाव से कर्तव्य का पालन करते हुये मानव सेवा का संकल्प लें यही भगवतगीता का मानवीय संदेश है। गीता जयन्ती व्याख्यान माला के संयोजक सुरेन्द्र कुमार सफ्फड़ ने आगन्तुक रसिक भक्त जनों का स्वागत किया। अशोक मिश्रा, सन्तोष पाण्डेय, अंजुम दुबे, आलोक गौड़, भूपेन्द्र प्रताप सिंह, सुरेन्द्र पाण्डेय, पवन अग्रवाल, रोहित सफ्फड़, गिरधर गोपाल, सुनील, जितेंद्र अग्रवाल, रेनू सिकटिया, अलका पांडे, मधु गौड़ 8 लोगों ने गीता ज्ञान यज्ञ में गीता का श्रवण चिंतन किया और सेवा भाव भगवान की भक्ति का संकल्प लिया। गीता व्याख्यान माला में गीला के महत्व पर काव्यगतभाव:. गीता हृदय भगवान का सब ज्ञान का शुभ सार है। इस शब्द गीता ज्ञान से ही चल रहा सारा संसार हैं। गीता परम विधा सनातन सर्वशास्त्रों का प्रधान है। पावत रूपी, मोक्षकारी, नित्य गीला ज्ञान का सागर है। व्याख्यान माला प्रवचन का विराम श्रीराधा श्याम की आरती एवं. प्रसाद के साथ किया गया। संचालन ब्रज किशोर सिंह किशोर ने किया।

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