फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। मेला रामनगरिया के वैदिक क्षेत्र चरित्र निर्माण शिविर में आश्रम व्यवस्था की जानकारी दी गई। आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने कहा कि आश्रम व्यवस्था भारतीय संस्कृति की रीड़ है। चार प्रमुख आश्रमों ब्रह्मचर्य गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास में गृहस्थ सब से बड़ा आश्रम है। क्योंकि ब्रह्मचारी वानप्रस्थी और संन्यासी इसी आश्रम पर निर्भर रहते हैं। इसलिए ग्रहस्त को सबसे बड़ा आश्रम बताया गया है। परन्तु बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज गृहस्थ सदग्रहस्त नहीं रह गया है। भौतिकवाद के प्रभाव में पडक़र गृहस्थ की मर्यादाएं टूट रही हैं। विवाह संस्कार के महत्व को न समझने के कारण विवाह के कुछ दिन के पश्चात पति और पत्नी में विच्छेद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, यदि विवाह संस्कार में हुई। क्रिया का थोड़ा सा भी अंश हमारे स्मरण में ठीक से रह जाए या हमारे पुरोहितों के द्वारा ठीक से समझा दिया जाए तो मैं मानता हूं कि कभी विच्छेद जैसी स्थिति जीवन में उत्पन्न नहीं होगी।
आचार्य विवेक आर्य ने कहा कि हम विवेक पूर्वक अपने जीवन को व्यतीत करने वाले बने पति-पत्नी एक दूसरे से मिलकर के रहें। यही उन्नति का मूल मंत्र है। जिसके लिए हमें आधुनिकता को छोड़ प्राचीन संस्कृति को अपनाना होगा। मध्यान्ह की सभा मे प्रदीप शास्त्री व उदिता आर्या ने मधुर गीतों के द्वारा भक्तिरस की धारा प्रवाहित की। कार्यक्रम में हरिओम शास्त्री, आचार्य ओमदेव, डॉ0 रामकुमार, सत्यम कटियार, रामवीर आर्य, मंगलम आर्य, उत्कर्ष आर्य, उदयराज आर्य, प्रवल आर्य, उपासना कटियार, रत्नेश द्विवेदी, रेनू आर्या आदि उपस्थित रहे।