रवायती अंदाज में मना हजरत शेख मखदूम का 700वां उर्स

गूंजीं ले चल पीर की सदाएं, नंगे पैर पालकी लाए मुरीदीन
छड़ीबाजों ने दिखाये करतब, पुलिस की रही कड़ी सुरक्षा
कमालगंज, समृद्धि न्यूज। हजरत शेख मखदूम बुर्राक लंगर जहां रहमतुल्लाह अलैह का 700वाँ उर्स व मेला रवायती अन्दाज में मनाया गया। उर्स में शुक्रवार को सज्जाददानशीन की पालकी को छडिय़ों के साए में भोजपुर से करीब पांच किलोमीटर दूर शेखपुर लाने के लिए अकीदतमंदों का जोश उमड़ पड़ा। चिल्लागाह से दरगाह तक नंगे पैर दौड़ते हुए अकीदतमंद आगे बढ़ रहे थे। खासकर बच्चों का जुनून बड़ों पर भी भारी पड़ रहा था। दरगाह में नमाज-ए- असर के बाद दूसरा कुलशरीफ हुआ। मुल्क की बेहतरी व अमनचैन को दुआ की गई। शेखपुर शरीफ स्थित दरगाह मख़दूमिया में हजरत शेख मखदूम बुर्राक लंगरजहां रहमतुल्लाह अलैह के उर्स में शुक्रवार को सुबह मदारे मुबारक का ग़ुस्लपाक हुआ। इसके बाद फातिहा ख्वानी हुई। जायरीन के आने का सिलसिला शुरू होते ही चादरपोशी व गुलपोशी होने लगी। बाद नमाज जौहर 700 साल पुराने खिरक़ा शरीफ को पांच किलोमीटर दूर भोजपुर स्थित चिल्लागाह पहुंचाया गया। नमाज जौहर व नमाज असर के दरमियान गुसल हुआ। सज्जादानशीन हजरत अजीजुल हक गालिब मियां को खिरक़ा शरीफ पहनाया गया।
बेहोशी के आलम में उन्हें पालकी (डोला) पर लिटाया गया। सबसे पहले हाथ मे छड़ी लेकर बच्चों का समूह आम के बागों व कच्चे रास्ते से कानपुर मार्ग व रेलवे क्रासिंग पार करते हुए शेखपुर में दरगाह मखदूमिया पहुंचा। करीब 10 मिनट तक बीच-बीच में अन्य समूहों में अकीदतमंद नारे तकबीर अल्लाह ओ अकबर ले चल पीर की बुलंद सदाओं के साथ दरगाह पहुंचते रहे। पालकी के दरगाह पहुंचने पर सज्जादानशीन को मजार शरीफ की परिक्रमा कराकर खिरक़ा शरीफ उतारा गया। शायर लतीफ कमालगंजवी ने फारसी व अरबी की रुबाई पढ़ी। गलिब मियां के होश में आने पर नमाज-ए-असर हुई। उर्स का दूसरा कुल शरीफ हुआ। देश में अमन चैन खुशहाली की दुआ की गई। स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाया। उर्स कमेटी मीडिया प्रभारी मो0 मोहसिन शमसी, यूसुफ खां, हस्सान अहमद आदि भी व्यवस्था में रहे। सुरक्षा की दृष्टि से थाना प्रभारी ने मेले का दौरा कर व्यवस्था देखी।

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