राम वन गमन की कथा का भक्तों ने किया रसपान
श्रीमद् भागवत कथा सुनने से धुंधकारी को प्रेतयूनी से मिली थी मुक्ति
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। गंगा नगर कालोनी में चल रहे १९वें धार्मिक अनुष्ठान के दूसरे दिन श्रीमद् भागवत कथा सुनाते हुए आचार्य दाताराम अग्निहोत्री ने धुंधली और धुंधकारी की कथा सुनायी। उन्होंने कहा कि तुंग भद्रा नदी के किनारे एक नगर में आत्मदेव नामक ब्राह्मण रहता था, उसकी पत्नी का नाम धुंधली था। धुंधली शरीर से जितनी सुंदर थी उतनी ही कू्रर थी। घर में सारी सुख सुविधाओं के बाद भी कोई शांति नहीं थी और न ही संतान प्राप्ती हुई। एक दिन दुखी होकर आत्मदेव आत्महत्या करने के लिए एक तालाब में कूदने वाले थे, तभी उन्हें एक सन्यासी ने बचा लिया, फिर सन्यासी ने उनके दुख का कारण पूछकर एक फल दिया और कहा कि इसे पत्नी को खिलाना। इस फल को खाने से उनको संतान की प्राप्ती होगी। धुंधली की बहन ने ब्राह्मणी ने उस समय वह गर्भवती थी, उसने अपनी बहन से कहा कि बहन यह फल तुम मत खाना और गाय को खिला दो और मेरे जो संतान होगी मैं तुम्हे सौंप दूंगी। धुंधली ने बहन का कहना मान फल को गाय को खिला दिया। फल के प्रभाव से गाय ने मानव रुपी बच्चे को जन्म दिया। जिसका नाम गोकर्ण रखा गया, जो विद्धान था। धुंधली की बहन ने भी एक बालक को जन्म दिया। जिसे उसने धुंधली को सौंप दिया और उसका नाम धुंधकारी रखा गया। जो दुष्ट और दुराचारी बना। धुंधकारी अत्याचारों के फल स्वरुप प्रेत बना। जिसका उद्धार गोकर्ण ने किया। साथ ही मानस वक्ता डा0 रामबाबू पाठक ने राम वन गमन की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा दशरथ ने अपने पुत्र राम को अपनी वृद्धावस्था को देखते हुए उन्हे युवराज बनाने की घोषणा की, तभी देवताओं ने मां सरस्वती को भेजकर दासी मंथरा की मति फेरी और मंथरा ने कैकई को समझाया तो कैकई ने पहले मंथरा को डांटा फिर बाद में उसकी राय को सही समझकर कोप भवन चली गयी। जब राजा दशरथ ने कोप भवन में जाकर उनके क्रोध का कारण पूछा तो उन्होंने वरदान मांगने की बात कहीं थी। दशरथ ने कहा कि दो की जगह चार मांग लो। पहला वरदान भरत को राज गद्दी, दूसरा वरदान राम को १४ वर्ष का वनवास मांगा। दशरथ ने स्वीकार किया तथा राम-लक्ष्मण, सीता वन चले गये। कथा का संचालन महेश पाल सिंह उपकारी ने किया। इस मौके पर निद्रोष शुक्ला, सर्वेश अवस्थी, अखिलेश द्विवेदी, रामबाबू मिश्रा, उमेश मिश्रा, ब्रह्मानंद मिश्रा, महेश मिश्रा, बृजेश दुबे, अवधेश पाण्डेय ने व्यवस्था देखी।