फर्रूखाबाद, समृद्धि न्यूज। भगवान विष्णु ने परशुराम अंश के रूप में उस भृगु कुल में अवतार लिया। जिस भृगु के पाद-प्रहार को अपने वक्ष:स्थल पर सहा।
भगवान परशुराम की जयंती हिन्दू धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया के दिन मनायी जाती है। जब धरती पर बुराई फैली तो उसका संहार करने के लिए परशुराम ने विष्णु के छठे अंश के रुप में जन्म लिया।
आयकर अधिवक्ता व समाजसेवी तथा रंगकर्मी राजगौरव पाण्डेय ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने परशुराम के रुप में जब अवतार लिया था तब पृथ्वी पर बुराई फैली हुई थी। योद्धा वर्ग हथियारों और शक्तियों के साथ अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर लोगों पर अत्याचार करना शुरु कर दिया था। इन दुष्ट योद्धाओं को नष्ट करके ब्राह्मांडीय संतुलन को बनाये रखा।
कन्हैया लाल रामशरण रस्तोगी इंटर कालेज के सहायक अध्यापक गौरी शंकर ने बताया कि हिन्दू ग्रन्थों में भगवान परशुराम को राम जामदग्नाय, राम भार्गव और वीरराम भी कहा जाता है। परशुराम की पूजा निओगी भूमिधिकारी ब्राह्मण, चितल्पन, दैवदन्या, मोहाल, त्यागी, अनावील और नंबुदीरी ब्राह्मण समुदायों के मूल पुरुष या संस्थापक के रुप में की जाती है। परशुराम अभी भी पृथ्वी पर है।
समाजसेवी व भाजपा महिला मोर्चा की जिला उपाध्यक्ष एवं पर्यावरण गतिविधि कानपुर प्रांत संयोजिका स्वेता दुबे ने बताया कि पृथ्वी पर जब प्राणियों का जीवन कठिन हो गया। इस से व्यथित होकर देवी पृथ्वी ने भगवान विष्णु से पृथ्वी और जीवित प्राणियों को आताताइयों की कू्ररता से बचने के लिए सहायता मांगी, तभी विष्णु के छठवे अवतार के रुप में भगवान परशुराम ने जन्म लिया।