आत्म शुद्धि के लिए इच्छाओं को रोकना जैन धर्म का उद्देश्य

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। जैन समाज के दस दिन के पर्यूष्ण पर्व समाप्ति के बाद महावीर दिगम्बर जैन अतिशय मंदिर जोगराज में दसलक्षण धर्म पूजा धूमधाम से मनायी गई। कन्हैया लाल जैन ने बताया कि जिनमत जो विश्व का धर्म है उसका नाम पर्यूष्ण पर्व है। यही पापों का नाश करता है। इसी से शाश्वत सुखी अनुभूति होती है एवं अध्यात्मवाद इस पर्व की साधना से रुपायित होता है। पर्यूष्ण पर्व में दस धर्म इस प्रकार है उत्तमरक्षमा मार्दव, आर्जव, शौच, सव्य, संयम, तप, त्याग, अंकिचप, ब्रह्मचर्य से दस धर्म में सार है अर्थात उत्कृष्ट है ये दस धर्म चारों गतियों के दुखों से निकलकर मोक्ष सुख को करने वाले है जैन समाज भी एक वर्ष में अनेक समाजिक, धार्मिक पर्व मनाये जाते है। वर्तमान की आंखों अतीत और भविष्य को देखा जाता है। यह पर्व अहंकार और ममकार्य विसर्जन की पहल की जाती है। इस पर्व अहिंसा की अराध्य का पर्व है। अत: जैन धर्म क्षमा भाव ही सिखाता है। इन्द्रों के वेष में कन्हैया लाल जैन, प्रवीन कुमार जैन, कमल कुमार जैन, नीरज जैन, अभिषेक जैन, चिराग जैन ने भगवान शांति नाथ का अभिषेक शांतिधारा एवं अष्ट द्रव्यों से पूजन किया। कन्हैया लाल जैन के अलावा प्रवीन कुमार जैन, कमल कुमार जैन, मयंक जैन मौजूद रहे। पंडित अभिषेक जैन ने विधि विधान से पूजन कराया। इस अवसर पर सुरेन्द्र सफ्फड़, अमित, संजय जैन, अतुल जैन, रोमिल जैन, पूनम जैन, मिनी जैन, कल्पना जैन, मणि जैन, अंजू जैन, आरती जैन, वर्षा जैन, शिखा जैन, स्वीटी जैन, ममता जैन, नीलम जैन, गुंजा जैन, नंदिता जैन, आकांक्षा, चित्रा आदि लोग मौजूद रहे।

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