व्यक्तित्व की श्रेष्ठता,परमात्मा का ही अनुग्रह है-पुंडरीक गोस्वामी महाराज

रामनगरी की प्रसिद्ध पीठ उदासीन संगत ऋषि आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का छंठवा दिन।

अमिताभ श्रीवास्तव।

समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। भगवान श्रीराम की नगरी की प्रसिद्ध पीठ उदासीन संगत ऋषि आश्रम प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छंठवें दिन सुदूर क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा का अमृतपान कराते हुए प्रख्यात भागवत कथा वाचक कथा व्यास पुंडरीक गोस्वामी जी महराज ने कहाकि हमारे व्यक्तित्व में जो भी श्रेष्ठता है,वह परमात्मा का ही अनुग्रह है।इस दृष्टि से हमें प्रत्येक कार्य को कुशलतापूर्ण ढंग से संपादित करना चाहिए।उन्होंने कहा कि जीवन का प्रत्येक सूर्योदय हमें हमारे लक्ष्य और संकल्पनाओं की संपूर्ति के नवीन अवसर प्रदान करता है,इसलिए नव सृजन,नवोन्मेषी विचार और अवसरों का स्वागत करें।भय, कुंठा,तनाव तथा असुरक्षा के भाव मनुष्य मन की दुर्बलताएँ हैं।इनसे अप्रभावी रहकर ही जीवन की श्रेष्ठ संभावनाओं को साकार किया जा सकता है।भागवत कथा में मुख्य रूप से प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा वर्तमान में मध्य प्रदेश प्रांत प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह,विश्व हिंदू परिषद के दिनेश जी सहित रामनगरी के प्रमुख संतो,महंतों व धर्माचार्ययों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

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