फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन से सभी शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी की पूर्व संध्या पर बाजारों में लोगों ने गन्ना, शकरकंद व सिंघड़े की जमकर खरीददारी की।
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसारए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन से सभी शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसारए देवउठनी एकादशी के दिन ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं और पुन: सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी के विवाह का भी प्रवधान है। देवउठनी एकादशी एकादशी पर गन्ना, सिंघाड़े तथा शंकरकंद की पूजा की जाती है। जिसके चलते पूर्व संध्या पर बाजारों में इन चीजों की ग्राहकों ने काफी खरीददारी की। जहां प्रति गन्ना 15 से 20 रुपये, सिंघाड़ा 30 रुपये तथा शकरकंद 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिकी।
देवउठनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त
इस बार कार्तिक माह की एकादशी 11 नवंबर को शाम के 6.46 बजे से लेकर 12 नवंबर को शाम 04.04 बजे तक रहेगी। ऐसे में 12 नवंबर को उदय तिथि में होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। वहीं इसका पारण 13 नवंबर को सुबह 6 बजे के बाद किया जाएगा।