कैदी कुलदीप जेल की सलाखों के पीछे अपनी योग्यता के हुनर से लखपति बन गया। ग्रेजुएट कुलदीप को बंदियों के प्रार्थना पत्र लिखने के लिए जेल अधीक्षक ने कार्य पर लगाया था। उसकी लगन का ही परिणाम रहा कि कुलदीप को पैरालीगल वालंटियर्स के रूप में भी काम पर लगा दिया गया। जेल में निरुद्ध कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली हुयी है।
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। किताब तकदीरे यूं ही नहीं बदला करतीं, मेहनत की कलम से पन्ने भरने पड़ते हैं’ यह लाइन फतेहगढ़ के जेल में बंद कैदी कुलदीप पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। जेल में अपनी मेहनत और लगन से कुलदीप ने एक लाख चार हजार रुपये कमाए हैं। गुरुवार को जेल प्रशासन ने उन्हें ये पैसे सौंप दिए। मेहनत की कमाई मिलने के बाद कुलदीप के चेहरे पर खुशी की लहर साफ दिखाई दी। जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने बताया कि जेल में निरुद्ध बंदी कुलदीप 14 नवंबर 2017 से जेल में निरुद्ध है. बंदी की योग्यता स्नातक है. उन्होंने बताया कि कार्य और लगन को देखते हुए बंदी कुलदीप को सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अचल प्रताप सिंह ने 19 मई 22 को जेल में स्थापित ‘लीगल एड क्लिनिक’ पर पैरा लीगल वॉलियटर के रूप में कार्य पर लगाया था. बंदी ने पूरे परिश्रम और लगन से कार्य किया. वर्तमान में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजय कुमार एडीजे ने पारिश्रमिक का भुगतान करके जेल अधीक्षक को जानकारी दी कि पैरा लीगल वॉलिंटियर कुलदीप के पारिश्रमिक का भुगतान करा दिया गया है. जेल अधीक्षक ने बंदी कुलदीप के बैंक खाता का स्टेटमेंट निकलवाया. बैंक स्टेटमेंट के अनुसार, बंदी कुलदीप के बैंक खाते में पैरा लीगल वॉलियंटर का पारिश्रमिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से रुपया एक लाख चार हजार की धनराशि अंतरित की गई है. इसकी जानकारी जेल अधीक्षक ने जब बंदी कुलदीप को दी तो बंदी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. अन्य बंदियों में भी ईमानदारी से कार्य करने के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. कारागार में अन्य कार्यों में भी लगे बंदी बहुत खुश और प्रफुल्लित हैं. जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने कहा कि अन्य कार्यों में लगे बंदियों को भी पारिश्रमिक का भुगतान नियमानुसार किया जाता है.