अमिताभ श्रीवास्तव
समृद्धि न्यूज़ लखनऊ। प्रदेश में बच्चों एवं महिलाओं की देखरेख हेतु संचालित विभिन्न प्रकार के गृहों की स्थितियों को सुधारने के लिए प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह महिला एवं बल गृृहों को गोद लें।इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया है।यह जानकारी महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर ने दी।उन्होंने बताया कि प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत दत्तक ग्रहण इकाई, शिशु गृह,बाल गृह,संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह,प्लेस ऑफ सेफ्टी, आफ्टरकेयर संस्थाएँ,विशेष आवश्यकता वाले बच्चों हेतु बाल गृह,महिला शरणालय,महिला वृद्ध आश्रम,मानसिक मंदित महिलाओं हेतु संचालित गृह आदि, सहित विभिन्न गृहों का संचालन किया जा रहा है।इन गृहों में आवासित बच्चें तथा महिलायें किन्हीं विषम परिस्थितियों के कारण ही गृहों में निवासित कराये जाते हैं।ऐसे बच्चे व महिलाएं अपने माता पिता/परिवारों से दूर राज्य की देख रेख व संरक्षण में आवास करते हैं तो ऐसे में इनके प्रति अधिकारियों का दायित्व और जवाबदेही और बढ़़ जाती है।
शासनादेश के अनुसार संचालित गृहों में आवासित बच्चों व महिलाओं के भरण पोषण सुरक्षा,संरक्षण और विकास हेतु राज्य सरकार व्यवस्थायें सुनिश्चित करती है।गृहों में आवासित बच्चों व महिलाओं की संख्या आमतौर पर महिलाओं हेतु संचालित गृहों को अतिरिक्त निगरानी एवं सहयोग की आवश्यकता होती है।ऐसी परिस्थितियों को देखते हुये मुख्य सचिव ने अधिकारियों से अनुरोध किया है कि बच्चों व महिलाओं को भावनात्मक सहयोग देने के लिए गृहों में आवासित बच्चों व महिलाओं की भावनात्मक आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु आवश्यक है कि प्रशासनिक अधिकारी इन गृहों में निरीक्षण के अतिरिक्त भी अपना समय दें और अपने परिवार के सदस्यों को भी इस हेतु प्रेरित करें। अधिकारी कम से कम एक गृह को गोद लें।वह स्वयं व अपने अपने परिवार के साथ त्योहारों तथा आपके जीवन के प्रमुख दिवस यथा होली,दिवाली,ईद, लोहड़ी,क्रिसमस,जन्मदिवस, विवाह समारोह,सालगिरह आदि कार्यक्रम बाल गृहों में बच्चों के साथ मनायें।श्रीमती कौर ने बताया कि शासनादेश में कहा गया है कि गृहों में आवासित बच्चें औपचारिक शिक्षा हेतु विभिन्न विद्यालयों में अध्यनरत हैं।प्रशासनिक अधिकारी तथा उनके परिवारजन स्वेच्छा से इन गतिविधियों में जुड़ सकते हैं व आस-पड़ोस के लोगों को भी बच्चों को विद्यालयों के बाद उनकी पढ़ाई में सहयोग/ट्यूशन आदि में समर्थन हेतु प्रेरित कर सकते हैं।ट्यूशन के अतिरिक्त उनके साथ विशेष गतिविधियों यथा स्टोरी टेलिंग,आर्ट,कौशल की विभिन्न गतिविधयां की जा सकती हैं।बच्चों की फीस, स्टेशनरी,बैग,स्कूल वैन/बस तथा ट्यूशन् आदि में धनराशि व सामग्री सहयोग करने पर विचार किया जा सकता है।