नारी शरणालय एवं बाल सम्प्रेक्षण गृह अयोध्या (शेल्टर होम्स) का किया गया निरीक्षण
समृद्धि न्यूज़ अंबेडकरनगर। उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2024-25 के अनुपालन में राम सुलीन सिंह, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार गुरुवार को बाल सम्प्रेक्षण गृह अयोध्या में बाल अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन एवं नारी शरणालय एवं बाल सम्प्रेक्षण गृह अयोध्या (शेल्टर होम्स) का निरीक्षण किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाल सम्प्रेक्षण गृह के केयर टेकर,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी, पराविधिक स्वंय सेवक एवं बाल अपचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।शिविर को सम्बोधित करते हुए अपर जिला जज/प्राधिकरण सचिव श्री गुप्ता द्वारा बताया गया कि बच्चों के अधिकारों को बाल अधिकार कहते हैं।बच्चों को जीवन जाने का अधिकार, विकास का अधिकार तथा शिक्षा का अधिकार आदि हैं।समाज के कुछ लोग बाल श्रम एवं बच्चों के अंगों का व्यापार करवाने हेतु बच्चों की तस्करी जैसा जघन्य पाप करते हैं जो मानव समाज के लिये बहुत बड़ा अभिशाप है।इस अभिशाप को हम और आप मिलकर रोक सकते हैं।इसे रोकने के लिये पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश में प्रत्येक जिले में बाल गुमशुदा केन्द्र (चाइल्ड मिसिंग सेल) की स्थापना की गयी है जो कि अपना कार्य काफी मुस्तैदी के साथ कर रहा है।बच्चों के लिये सरकार द्वारा बहुत सी योजनायें चलायी जा रही हैं।उन्होंने बताया कि 06 साल से 14 साल के उम्र के बच्चों के लिये शिक्षा का अधिकार है। प्रत्येक बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है।बच्चों से श्रम न करवाकर उन्हें स्कूल भेजना चाहिये।मानव अंगों के व्यापार के लिये बच्चों की तस्करी की जाती है।उन्होंने बताया कि यदि किसी का बच्चा घर से गायब हो गया और बलाश करने पर नहीं मिला तो उसे तत्काल सम्बन्धित थाने पर सूचना देनी चाहिये।उन्होने बताया कि बच्चों को किसी विषम परिस्थिति से बचने के लिये शासन द्वारा चलाये जा रहे नम्बर 1098 और लडकियों के लिये 181 के बारे में बताया।अपर जिला जज/सचिव द्वारा उ०प्र० मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के विषय में बताया के कोविड-19 में जो बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं।उनके जीवन को संवारने हेतु उ०प्र० सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारम्भ किया गया है।योजना में शून्य से 18 वर्ष ऐसे बच्चे शामिल किये जायेंगे जिनके जिनके माता-पिता दानों की मृत्यु कोविड-19 से हो गयी है या माता-पिता में से एक की मृत्यु मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी अथवा दोनों की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी। इसके अलावा शून्य से 18 वर्ष के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता-धर्ता हो और वर्तमान में जीवित में माता-पिता सहित परिवार की आय 2,00,000/- रूपए से अधिक न हो।ऐसे लोगों को योजना में शामिल किया जायेगा।योजना के अन्तर्गत शून्य से 10 वर्ष के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4,000/- रूपए माह दिये जायेंगे।यदि बच्चे के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश दिलाना चाहते हैं तो बच्चों की देख-रेख और पढ़ाई के लिये उनको 18 वर्ष का होने तक कक्षा 12 की शिक्षा पूरी होने तक 4,000/- रूपए की धनराशि दी जायेगी बशर्ते बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो।कक्षा 09 या इससे ऊपर की कक्षा में अथिवा व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को टेबलेट, लैपटॉप की सुविधा दी जायेगी। ऐसे बच्चों की चल-अचल सम्पत्तियों की सुरक्षा के प्रबन्ध होंगे।उन्होंने बताया कि जिला बाल सरंक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति द्वारा चिन्हांकन के 15 दिन के अन्दर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण करायी जायेगा। निर्धारित प्रारूप पूर्ण रूप से भरकर ऑनलाइन तरीके से ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम विकास पंचायत अधिकारी,विकासखण्ड या जिला प्रोबेशन अधिकारी कायालय पर जमा करना होगा शहरी क्षेत्र में लेखपाल तहसील या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में जाम किये जा सकते हैं।माता-पिता की मृत्यु से 02 वर्ष के अन्दर आवेदन तथा अनुमोदन की तिथि से लाभ अनुमन्य होगा।
अमिताभ श्रीवास्तव।