जब हम छापा मारते हैं, तो मौके पर कोई नहीं मिलता
ऐसे में जनपद में अवैध खनन पर कैसे लगेगी लगाम
शमशाबाद, समृद्धि न्यूज। शासन चाहे जितना प्रयास कर ले, लेकिन जब तक प्रशासन नहीं चाहेगा, तब तक जनपद में अवैध खनन रुकने वाला नहीं है। अगर बात की जाये, तो शमशाबाद, नवाबगंज, मोहम्मदाबाद व कायमगंज में से सबसे ज्यादा खनन शमशाबाद क्षेत्र में होता है। तमाम खबरों के माध्यम से प्रशासन को जागरुक करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन प्रशासन गहरी नींद मेें सोया हुआ है।
जानकारी के अनुसार बुधवार सुबह थाना शमशाबाद में खनन माफियाओं द्वारा रसीदपुर तराई में धड़ल्ले से खनन किया जा रहा था। जब इसकी सूचना जिला खनन अधिकारी संजय प्रताप सिंह को दी गयी, तो खनन अधिकारी संजय प्रताप सिंह ने उस पत्रकार को ही ज्ञान देना शुरू कर दिया कि आप थाने चले जाओ और पुलिस से ट्रैक्टर ट्राली ओर माफिया को पकड़वा लो। फिर हमें बुला लेना। कितना हास्यस्पद वाकया है कि यदि कोई मीडियाकर्मी जानकारी देकर वर्जन लेना चाहे तो भ्रष्ट तंत्र का मंत्र जपने वाले जिला खनन अधिकारी उसे ही अपना काम बताने लगते हैं। ऐसा ही मामला पिछले सप्ताह भी सामने आया था। जब बुग्गियों से पंचालघाट से बालू खनन कर माफियाओं द्वारा दर्जनों बुग्गियों से ले जाया जा रहा था। उस दिन भी खनन अधिकारी संजय प्रताप सिंह को अवगत कराया गया था, तो उस दिन संजय प्रताप सिंह ने अपने कर्तव्य के प्रति काफी निष्ठा दिखाते हुए मामला पुलिस पर डाल दिया। खनन अधिकारी संजय प्रताप सिंह ने कहा था कि हम खनन माफियाओं पर शिकंजा कसना चाहते हैं, परन्तु हमें सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस की जरूरत पड़ती है। जब हम पुलिस को सूचना देकर बुलाते हैं तो वो खनन माफियाओं को बता देते हैं। जिससे खनन माफिया मौके से भागने में कामयाब हो जाते हैं। अब इसकी सही वजह तो कोई उच्चाधिकारी इसकी तह तक जाए तभी समाने आ सकती है। वैसे खनन माफियाओं पर शिकंजा कसता नजर नहीं आ रहा है। जनपद में शायद ही ऐसा कोई दिन जाता हो जिस दिन खनन माफियाओं से संबंधित खबरें न प्रकाशित होती हों। उसके बावजूद खनन अधिकारी संजय प्रताप सिंह चिरनिद्रा में सोए हुए दिखाई पड़ते हैं, तो कुछ तो दाल में काला है। विश्वस्थ सूत्रों की अगर बात मानी जाए तो दाल में कुछ काला नहीं पूरी की पूरी दाल ही काली दिखाई देती है। जबकि प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने माफिया मुक्त प्रदेश बनाने की ठानी है। वो माफिया खनन माफिया हो या भू माफिया किसी को भी बेलगाम नहीं होने का फरमान जिलाधिकारियों को दिए गए हैं। लखनऊ से जारी होने वाले फरमान शायद जनपद तक आते-आते रद्दी की टोकरी में डाल दिए जाते हैं।