कैदियों को आधा गेहूं आधा पोषण अनाज भोजन में देने की सलाह

*प्रदेश की राज्यपाल से जिला जेल अधीक्षक ने कही अपने मन की बात
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज।
जेल अधीक्षक भीमसैन मुकुंद ने लखनऊ से लौटने के बाद बताया कि मन की बात कार्यक्रम में भाग लेने के बाद उन्होंने प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से अपने मन की बात कही। जिसमें उन्होंने बंदियों को आधा गेहूं और आधा पोषक अनाज भोजन में दिये जाने की बात कही। इसके साथ ही नाश्ते में गेहूं के दलिया के स्थान पर ज्वार का दलिया दिये जाने और सप्ताह में एक दिन भीगे चने की जगह उबला हुआ ज्वार दिये जाने की सलाह दी।
जेल अधीक्षक भीमसैन मुकुंद ने बताया कि इस एक छोटे से बदलाव की वजह से दोहरा लाभ होगा। एक ओर गरीब किसान की पोषक अनाज की खपत बढ़ेगी तो गरीब किसान की आमदनी बढ़ेगी। दूसरी तरफ पोषक अनाज (श्रीअन्न) के प्रयोग से जेलों में बंदियों की सेहत भी अच्छी रहेगी। सबसे अच्छी बात ये होगी कि इससे बंदियों के भोजन पर राज्य सरकार के होने वाले वित्तीय भार में भी कमी आयेगी। जेल अधीक्षक मुकुंद ने विस्तार से बताया कि संपूर्ण भारत वर्ष की जेलों में आज की तारीख में 5 लाख से अधिक बंदी निरुद्ध है। जिनके लिए औसतन 3500 क्विंटल गेहूं की खपत प्रति दिन होती है। ये खपत विभिन्न राज्यों के जेल मैनुअल के हिसाब थोड़ी बहुत ऊपर नीचे हो सकती है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश की जेलों में लगभग 01 लाख 25 हजार बंदी प्रतिदिन निरुद्ध हो रहे है। उत्तर प्रदेश की जेलों में प्रतिदिन औसतन 75000 कि0ग्रा0 गेहूं प्रयोग में लाया जा रहा है। यदि जेलों में 50-50 के अनुपात में गेहूं और पोषक अनाज (श्रीअन्न) की रोटियां दी जाए तो अंतराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (श्री अन्न) सार्थकता सिद्ध करने में सहायक हो सकती है। इसी प्रकार इसका उपयोग मिड-डे-मील में गरीब राशन योजना में करके इसका उपयोग और भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने ने पोषक अनाज के बारे में बताया कि वैसे तो दुनिया में 13 प्रकार के पोषक अनाज होते है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के लिए 08 अनाजों ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, सांवा, कंगनी, चना और कोदो को शामिल किया गया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि राज्यपाल ने उनकी बात को ध्यान से सुना। उन्हें भरोसा है कि उनके सुझावों पर सकारात्मक निर्णय होगा।

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