फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। भारतेंदु नाट्य अकादमी एवं सांस्कृतिक विभाग लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में संस्कार भारती द्वारा 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन का शुभारंभ कर मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ0 रजनी सरीन ने कहा युवा पीढ़ी नाटक अभिनय सीखकर अपना करियर बनाए। जिसमें रोजगार के साथ व्यक्तित्व के विकास, अच्छे समाज निर्माण में अपना सहयोग करें। एशियन कंप्यूटर सेंटर जोगराज में चल रही नाट्य विद्या की कार्यशाला में डा0 रजनी सरीन ने कहा नाट्य शास्त्र समाज का दर्पण है। जैसा समाज कला साधक बनाएगा उसी प्रकार का समाज दिखाई देता है। समाज में कलाओं के माध्यम से समाज और राष्ट्रभक्ति को जागृति करती है। उन्होंने कहा नाटक वर्तमान समय में युवाओं का करियर के साथ रोजगार के अवसर प्रदान करती है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करती है। सभी प्रशिक्षर्थी कार्यशाला में सीखकर समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना सहयोग दें। प्रांतीय महामंत्री एवं अकादमी के नामित सह निर्देशक सुरेंद्र पाण्डेय ने सनातन संस्कृति का इतिहास, वैदिक युग मानव जीवन जप तप चिंतन में नीरज हो गया था। तब सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा ने चारों वेदों की सूक्तियों को लेकर पंचम वेद नाट्य शास्त्र (रस शास्त्र) की रचना की पृथ्वी पर भरत मुनि अपने शिष्यों के साथ नाट्य शास्त्र को मानव कल्याण हेतु रस मय आनंद मय में जीवन जीने के लिए विस्तार किया।
फर्रुखाबाद क्षेत्र में कलाओं का इतिहास 19वीं शताब्दी से शुरू होता है। नगर के प्रसिद्ध वैध लल्ला हकीम द्वारा पारसी थिएटर लाला लोकमाणी द्वारा कला परिषद नाटकों की परंपरा शुरू हुई। इस समय रामलीला एवं रासलीला की परंपरा में पंडित कृपा शंकर, पंडित श्यामा चरण दुबे, पंडित करुणा शंकर रामायणी, माधवराव मधैआ कला साधक आए कला संरक्षक गोकुल नाथ सरीन, पंडित विमल प्रकाश तिवारी, दादा चंद्रशेखर शुक्ला, रंगकर्मी सच्चिदानंद विजय दवे (मटर लाल) कला साधकों ने रामलीला के माध्यम से नाट्य विधा की परंपरा को जीवित रखा वर्तमान समय में संस्कार भारती के संरक्षक कला मित्र स्वर्गीय आचार्य ओम प्रकाश मिश्र (कंचन) जिन्होंने विलुप्त कलाओं को खोजना अनुसंधान करना चिंतन मनन के द्वारा विगत वर्षों से कार्यशाला के रूप में कला साधको की श्रृंखला उत्पन्न की। उसी के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार भारतेंदु नाट्य अकादमी लखनऊ एवं सांस्कृतिक विभाग लखनऊ के तत्वाधान में संस्कार भारती कला साधकों की नाट्य विधा में 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रही है। प्रशिक्षक अमित सक्सेना ने कहा नाट्य व्यक्ति का प्राकृतिक स्वभाव है जो मानव के जन्मजात होता है। नाटक मानव जीवन जीने की कला है जो अभिनय द्वारा व्यक्ति में विकास होता है। एक अच्छा कला साधक अपनी कला साधना चिंतन मनन के द्वारा मानव जीवन में रस में आनंद में सुख मय बना देता है। इसी में अपना जीवन जीता है यह दुनिया एक रंगमंच है। कला साहित्य अभिनय के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है। अध्यक्ष डॉ0 नवनीत गुप्ता ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। कार्यशाला में में नाट्य कला संयोजक अरविंद दीक्षित, राज गौरव पाण्डेय, रविंद्र भदोरिया, दिलीप कश्यप (कलमकार), शैली दिवाकर, डॉ0 नावेद अंसारी, धीरज मोर्य, सत्या सिंह, अनुराग पांडेय (रिंकू), प्रिया राजपूत, अर्पण शाक्य, तन्मय पांडेय नाट्य विद्या की कार्यालय में सहभागिता की ग्रीष्मकालीन कार्यशाला में कथक नृत्य की छात्राओं को मुख्य अतिथि डा0 रजनी सरीन के द्वारा उत्तर प्रदेश अकादमी के प्रमाण पत्र स्नेहा श्रीवास्तव, मान्या वर्मा, वैष्णवी गुप्ता, मोनिका राठौड़, शालू, वैष्णवी, श्रेया, अर्जिता, आस्था को प्रमाण पत्र देकर उज्जवल भविष्य की कामना की। संस्कार भारती के सचिव कुलभूषण श्रीवास्तव में सभी अतिथियों का आभार एवं धन्यवाद दिया।