फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। संस्कार भारती द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन कार्यशाला कनोडिया इंटर कॉलेज में चल रही है। जिसमें बच्चों को मेहंदी का प्रशिक्षण दे रही प्रिया वर्मा ने बताया कि सौंदर्य कला से पहले चित्रकला में डिजाइन करनी पड़ती है, सुंदर कला में मेहंदी रचनाओं की बेहद बढ़ रही है शादी विवाह या कोई भी उत्सव हो मेहंदी का बड़ा महत्व है मंगलकारी माना जाता है और फिर शादी विवाह में तो मेहंदी एक रस्म के साथ फैशन भी बन गई है। मेहंदी का खूब प्रचलन चल रहा है। मैं अपने बच्चों को मेहंदी कला के साथ-साथ चित्रकला में भी निपुण बना रही हूं। मेहंदी और चित्रकला एक दूसरे के साथी है। पहले डिजाइन करना फिर मेहंदी को लगाना होता है। चित्रकला में साधारण डिजाइन करना दूसरे ज्योमैट्रिकल, डिजाइन प्राकृतिक चित्र, मानवी चित्र, आधुनिक चित्रण के अंतर्गत बेल बूटे हाथ, फूल उंगलियों की डिजाइन, अरेविक मेहंदी, भरवा मेहंदी, हाथों पर मेहंदी लगाने के सिद्धांत इस तरह पैरों के डिजाइन ब्राइडल मेहंदी की विधाओं को चित्रकला के माध्यम से नवाचार के तरीके को अपना रही है। मेहंदी की वर्तमान समय में बहुत मांग है। कला के साथ पैसे कमाने का अच्छा साधन है। हम बच्चों को उद्यमी आत्मनिर्भर रोजगार पर प्रशिक्षण दे रही हूं। कार्यशाला की व्यवस्था सुरेंद्र पांडे, नवनीत गुप्ता, रविंद्र भदोरिया, कुलभूषण श्रीवास्तव, डॉ0 सर्वेश श्रीवास्तव, अरविंद दीक्षित, रामेंद्र कमठान आदि लोग देख रहे हैं।