“नौकरी बीजेपी के एजेंडे में है ही नहीं”
लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नगर निगम गोरखपुर में तहसीलदार से लेकर लेखपाल तक के प्रमुख पदों पर आउटसोर्सिंग से हो रही भर्तियों को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि बेहतर होगा कि भाजपा पूरी की पूरी ‘सरकार’ ही आउटसोर्स कर दे तो उसका एक जगह से ही सारा कमीशन, एक साथ सेट हो जाएगा। समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की बीजपी सरकार को घेरते हुए अनुबंध (आउटसोर्सिंग) के जरिए विभिन्न पदों पर भर्ती की आलोचना की है। अखिलेश यादव ने इसे पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) समुदाय के खिलाफ एक आर्थिक साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि आज फिर दोहरा रहे हैं कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं।
नगर निगम गोरखपुर ने 18 नवंबर को तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक व लेखपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त करने का विज्ञापन जारी किया है। इसके लिए सात दिसबंर की शाम पांच बजे तक आवेदन मांगे गए हैं। तहसीलदार को 35 हजार, नायब तहसीलदार को 30 हजार, राजस्व निरीक्षक को 29 हजार व लेखपाल को 27 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। नगर निगम ने कार्य की अधिकता का हवाला देते हुए इन पदों पर सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों को नियुक्त करने की बात कही है। सपा अध्यक्ष ने इस निर्णय का विरोध किया है। अखिलेश ने आरोप लगाया कि आउटसोर्सिंग ”पीडीए” (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के खिलाफ एक आर्थिक साजिश है। उन्होंने भाजपा से इस प्रस्ताव को तत्काल वापिस करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार नौकरी-आरक्षण का सांविधानिक हक न छीने। उन्होंने इस पर घोर आपत्ति जताते हुए निंदनीय बताया है। अखिलेश इससे पहले भी आउटसोर्सिंग की नौकरियों का विरोध करते आए हैं।
पूरी ‘सरकार’ ही आउटसोर्स कर दे: अखिलेश
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “बेहतर होगा कि भाजपा पूरी की पूरी ‘सरकार’ ही आउटसोर्स कर दे, तो उसका एक जगह से ही सारा कमीशन एक साथ ‘सेट’ हो जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से भाजपा को ‘फुटकर’ में नौकरी देने और आरक्षण के खिलाफ काम करने का महाकष्ट नहीं उठाना पड़ेगा।
‘पीडीए’ के खिलाफ आर्थिक साजिश बताया
सपा प्रमुख ने कहा, “हम हमेशा से कहते रहे हैं, आज फिर दोहरा रहे हैं- नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं।” अखिलेश यादव ने आउटसोर्सिंग को ‘पीडीए’ के खिलाफ एक आर्थिक साजिश बताते हुए भाजपा से इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की और कहा कि यह न केवल घोर आपत्तिजनक है, बल्कि संवैधानिक हक, विशेषकर आरक्षण को खत्म करने की कोशिश है।