सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण वाले फैसले पर मायावती ने किया विरोध

बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति में वर्गीकरण नहीं किया जा सकता. आरक्षण में किसी भी प्रकार का वर्गीकरण उचित नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर लिए गए फैसले के संबंध में बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारी पार्टी सहमत नहीं. इस फैसले के बाद राज्य-केंद्र में मतभेद होगा. बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति व्यक्त की हैं. उन्होंने कहा कि वो अदालत के एससी जाति के बीच उपजाति विभाजन करने के फैसले से सहमत नहीं हैं. आरक्षण पर नई सूची बनाने से कई तरह की परेशानी होगी. एससी-एसटी के बीच उपजाति का विभाजन करना सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को क्रीमीलेयर को लेकर मानक भी तैयार करना चाहिए था.यूपी की पूर्व सीएम ने आगे कहा कि अदालत के फैसले से कहीं न कहीं आरक्षण को खत्म करने का प्लान है. उन्होंने सवाल किया है कि अदालत ने फैसले में क्रीमीलेयर का जिक्र किया है, लेकिन इसका मानक क्या है? कौन सी जाति इस दायरे में आएगी इसकी कोई जानकारी नहीं है. आरक्षण में वर्गीकरण का मतलब आरक्षण को समाप्त करके उसे सामान्य वर्ग को देने जैसा होगा. मायावती ने कहा की हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है और हम आरक्षण में किसी तरह के वर्गीकरण के खिलाफ हैं. एससी-एसटी आरक्षण व्यवस्था को लेकर संविधान में उचित संशोधन करना चाहिए और इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाना चाहिए. अदालत के फैसले के बाद आरक्षण को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों में मतभेद की स्थिति बनेगी. सरकारें मनचाही जातियों को आरक्षण देने का काम करेंगी. इससे असंतोष की भावना पैदा होगी. क्योंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा अत्याचारों का सामना एक ग्रुप के रूप में किया गया है और यह समूह समान है, इसलिए किसी भी तरह कोटे में कोटा की व्यवस्था तैयार करना सही नहीं होगा.  उन्होंने कहा कि SC-ST आरक्षण सामान्य वर्ग को जा सकता है, केंद्र-राज्य सरकारों में मतभेद की स्थिति बनेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने फैसले को पलट दिया है, सरकारें मनचाही जातियों को आरक्षण देने का काम करेंगी इससे असंतोष की भावना उत्पन्न होगी. सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उसको सरकार संसद के माध्यम से इसको बदल देना चाहिए अगर नहीं बदलते हैं तो हमें यह मानना चाहिए की भाजपा और कांग्रेस एक जैसे ही हैं.

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