फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आखिर क्यों शिक्षक दिवस पर याद नहीं किया जाता माता सावित्रीबाई फुले को। देश की प्रथम महिला शिक्षिका होने के बावजूद भी आज हम लोग भूल गए, अगर आज कोई महिला बड़े पदों पर आसीन है तो वह माता सावित्रीबाई फुले की देन है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रवेश रत्न शाक्य ने बताया कि एक समय था जब हिंदू समाज व्यवस्था एवं परंपरा में किसी भी महिला को पढऩे का अधिकार नहीं था।
उनके पति महात्मा ज्योतिबा राव फुले ने पहले सावित्रीबाई फुले को पढ़ाया और फिर उनसे कहा कि घर-घर जाकर महिलाओं को शिक्षित करें। जब सावित्रीबाई फुले महिलाओं को पढ़ाने जाती थी तो लोग उनके ऊपर कीचड़, मलमूत्र गोबर, फेंका करते थे। ये सब बर्दाश्त करते हुए पूरी जिंदगी लड़कियों की शिक्षा एवं मजबूती में लगा देना कितना दूरदर्शी एवं मजबूत इरादों वाली बात रही होगी। वह एक साड़ी अपने साथ पॉलीथिन में लेकर जाती थी। लोग कीचड़ फेंका करते थे। उस साड़ी को बदलकर वह दूसरी साड़ी पहनती थी, उसके बाद महिलाओं को शिक्षा देने का कार्य करती थी। माता सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिवा राव फुले ने सबसे पहले महाराष्ट्र पुणे में महिला विद्यालय खोला। इसके बाद एक वर्ष में उन्होंने पांच और विद्यालय खोलें तथा लड़कियों को शिक्षा देने का कार्य किया। उनके संघर्षों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।