फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। शिक्षकों के विरोध के चलते आखिर सरकार को बैकफुट पर आना ही पड़ा। दो वर्ष पूर्व केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों ने एमएससी सहित अपनी मांगों को लेकर साल भर चले प्रदर्शन के बाद आखिर सरकार को झुकना पड़ा। लोगों का कहना है कि एकता में बहुत दम होती है वह साबित होते दिखी। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की ऑन लाइन उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर शिक्षकों में आक्रोश था। शिक्षक संगठनों व कर्मचारियों के अलावा अन्य एसोसिएशनों का सहयोग मिलने से आंदोलन को गति मिलने लगी थी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिन्हा ने शिक्षक संगठनों की बैठक के बाद फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया है। इसमें मुख्य भूमिका निभाने वाले प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चन्द्र शर्मा और बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव की मेहनत रंग लायी। १५ जुलाई को शिक्षकों की हुंकार के आगे आखिर शासन ने उनकी ऑन लाइन उपस्थिति व्यवस्था को स्थगित कर दिया है और अपनी पीठ थपथपाने के लिए एक कमेटी का गठन होने की बात कह दी है। पूर्व से ही अटेवा सहित सभी संगठन पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे है। ऐसे में शिक्षकों ने अपनी मांगों को आगे रखते हुए लागू कराने की बात रखी। जिस कारण शासन को डिजिटाइजेशन व्यवस्था को दो माह के लिए स्थगित करना पड़ा, जबकि शिक्षकों में अभी भी नाराजगी है। दो माह का आदेश मंजूर नहीं है। हमेशा के लिए थोपे गये आदेश को स्थगित किया जाये।
अटेवा के प्रदेश संयुक्त मंत्री ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि थोपी गई व्यवस्था को हम स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार हमारे कार्य करने का वेतन देती है। उसके अतिरिक्त हम पर जो भी बोझ डाला जायेगा वह अव्यवहारिक है। समझौते के आधार पर शासन-प्रशासन हमारी मांगों को पूर्ण करें उसके बाद कोई प्रक्रिया को लागू करने के लिए शिक्षकों के साथ मध्यक्षता बैठाये, तभी हम कोई शर्त को मंजूर कर पायेगें।
उत्तर प्रादेशीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष भूपेश प्रकाश पाठक की मेहनत रंग लायी। उनके अनुरोध पर सभी शिक्षक संगठन एकजुट हुए और काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराते हुए कार्य करते रहे। उनके नेतृत्व में कोई शिक्षक झुका नहीं। किसी ने भी जनपद में ऑनलाइन उपस्थिति नहीं दर्ज करायी। परिणाम स्वरुप आखिर शासन को बैकफुट पर आना पड़ा। ऐसे में दो माह के लिए यह आदेश स्वीकार नहीं करेंगे। विरोध जारी रहेगा।
अटेवा के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह जाटव ने शिक्षकों के साथ एकजुटता दिखाते हुए हुंकार भरी और बैठकों के दौर में शिक्षकों को एकजुटता के साथ आंदोलन को गति दी। उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती है तब तक ऐसे आदेश को हम स्वीकार नहीं करेगें। वर्तमान समय में बच्चों की पठन-पाठन प्रक्रिया शुरु हो गयी है। ऐसे थोपे गये आदेश के चलते वह भी प्रभावित होने लगी थी।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री राजकिशोर की मेहनत रंग लायी। उन्होंने भी अपने संगठन के माध्यम से ब्लाक स्तर पर विरोध किया और ट्विटर पर भी अभियान चलाकर ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध दर्ज किया। थोपे गये आदेश का विरोध इतना हावी रहा कि शिक्षक संगठनों के आगे सरकार ने ऑन लाइन उपस्थिति कार्यक्रम को स्थगित किया। इस खुशी में शिक्षकों ने सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया।