वन्य जीव सप्ताह के तहत सेमिनार का हुआ आयोजन

केडी बालिका डिग्री कालेज की छात्राओं को डा0 तहसीन फातिमा ने किया सम्बोधित
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। कृष्णा देवी बालिका पीजी कॉलेज में सोमवार को वाइल्डलाइफ वीक के उपलक्ष में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का शुभारम्भ वनस्पति विज्ञान विभाग की डॉ0 तहसीन फातिम ने मां सरस्वती के समीप दीप जलाकर किया। डॉ0 तहसीन फातिमा ने फॉरेस्ट एंड इट्स लाइवलीहुड एवं वाइल्डलाइफ एंड इट्स इंपोर्टेंस पर छात्राओं को इकोलॉजिकल बैलेंस, फूड वेब, फूड चेन बायोडायवर्सिटी, वाइल्डलाइफ एंड इट्स इंपॉर्टेंस की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इकोलॉजिकल इंबैलेंस से होने वाले नुकसान एवं उनके भेद के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कि यदि प्रोड्यूसर कंज्यूमर एवं डीकंपोजर में अगर कोई भी कनेक्टिव लिंक गायब हो गया तो इसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ सकता है, साथ ही साथ इन्होंने यहां भी बताया की फूड वेब एवं फूड चेन के माध्यम से 10 प्रतिशत एनर्जी का ट्रांसफर कैसे होता है, वेजिटेशन को बचाने के लिए कौन-कौन से एक्ट जैसे कि बायोडायवर्सिटी, वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972, नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की स्थापना की गई है। जिससे हम वाइल्ड प्लांट्स को बचा सकें। साथ ही उन्होंने एनवायरमेंटल पॉल्यूशन, सॉइल पॉल्यूशन, प्लास्टिक पॉल्यूशन, ग्लोबल वार्मिंग एवं ग्रीनहाउस इफेक्ट से वातावरण को होने वाले नुकसान एवं रोकने के उपाय बताएं। जंतु विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा0 रूबी यादव ने वाइल्डलाइफ एंड इट्स इंट्रोडक्शन पर पावर पॉइंट के माध्यम से जानकारी दी। जिसमें वाइल्ड एनिमल्स की पॉजिटिव वैल्यू एवं नेगेटिव वैल्यू के बारे में बताया। पॉजिटिव वैल्यू में वाइल्ड एनिमल्स, फ्री लिविंग एनिमल्स, कैपटिव एनिमल्स फेरल एनिमल्स के बारे में बताया। पॉजिटिव वैल्यू में एथिकल वैल्यू, कल्चरल वैल्यू, इकोलॉजिकल वैल्यूज, साइंटिफिक वैल्यू, अथजिस्टिक वैल्यू, कमर्शियल वैल्यू या गेम वैल्यू के बारे में बताया। जंतुओं के प्रोटेक्शन के लिए सर्प को भगवान शंकर से मूषक एवं हाथी को भगवान गणेश से वल्चर को रामायण में एवं वानर का हनुमान जी से संबंध बताया गया है। जिससे जंतुओं का प्रोटेक्शन किया जा सके। पंचतंत्र की कहानियों में हमारे कलर में कैसे जीवन को जोड़ा गया है, जिससे उनका प्रोटेक्शन किया जा सके। आर्किटेक्चर में भी स्मारक में जंतुओं के प्रोटेक्शन करने के लिए उनके उनको मूर्ति कला में स्थान दिया गया है। कुछ जानवर जैसे हाथी के दांत, क्रोकोडाइल की स्किन भी का इस्तेमाल करने से कुछ जानवरों की संख्या में कमी आई है पौराणिक समय से जैसे कि भालू एवं बंदर यह कुछ जंतु है जिनका गेम के माध्यम से भी उपयोग किया जा रहा है। मनुष्य के अत्यधिक बढ़ाओ से मानव एवं जानवरों के बीच में कनफ्लिक्ट देखा जा सकता है जिसमें मंकी, हाथी, लेपर्ड टाइगर, नाग, एलीफेंट, राइनोसेरॉस इनके द्वारा कनफ्लिक्ट देखा जा सकता है। प्राचार्य डॉ0 प्रेमलता श्रीवास्तव ने छात्राओं को जंतुओं के साथ में छेड़छाड़ ना करने एवं उनके प्रोटेक्शन के लिए उठाए गए कदमों जैसे वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *