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चार की बातों से रूबरू हुईं महिला महाविद्यालय की छात्राएं

एचआईवी एड्स विषय पर आयोजित हुआ जागरूकता शिविर

बहराइच समृद्धि न्यूज़”एचआईवी/एड्स से बचाव ही सुरक्षा की पहली शर्त है। यह चार कारणों से फैलता है, लेकिन चार सरल बचाव के तरीकों को अपनाकर इस गंभीर संक्रमण से बचा जा सकता है,” यह बात उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संदीप मिश्रा ने महिला महाविद्यालय में आयोजित एचआईवी/एड्स जागरूकता शिविर में कही। शिविर का आयोजन छात्राओं को इस गंभीर विषय पर शिक्षित करने और समाज में फैल रही भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफ़ेसर डॉ. सरिता यादव ने किया। डॉ. मिश्रा ने छात्राओं को बताया कि एचआईवी/एड्स एक जानलेवा बीमारी है, इसका कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाओं के माध्यम से रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उसकी जीवन अवधि को बढ़ाया जा सकता है। इसकी सुविधा जिला अस्पताल के कमरा नंबर 19 में दी जा रही है। इस अवसर पर प्राचार्या प्रो. प्रिया मुखर्ज़ी , डॉ. मनीषा खन्ना, डॉ. अमृता मिश्रा, डॉ सायरा खातून , डॉ दया कुमारी ,डॉ मधुबाला, डॉ गरिमा, डॉ रीमा शुक्ला , जिला कार्यक्रम प्रबंधक टीबी रवि शर्मा, जिला पीपीएम समन्वयक अश्वनी पाण्डेय ,शरणम् संस्थान से संदीप सिंह , प्रधान लिपिक केके वर्मा सहित महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रहीं।

चार बातें जो एचआईवी के प्रसार का कारण बनती हैं

  1.  असुरक्षित यौन संबंध -एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना संक्रमण का प्रमुख कारण है।
  2. संक्रमित रक्त का चढ़ाया जाना – एचआईवी संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद चढ़ाए जाने से संक्रमण फैल सकता है।
  3. संक्रमित सुइयों का प्रयोग – एचआईवी संक्रमित सुई या सिरिंज के साझा प्रयोग से भी यह संक्रमण फैल सकता है।
  4. संक्रमित गर्भवती से बच्चे को – एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु को भी संक्रमण हो सकता है।

चार बचाव के महत्वपूर्ण कदम

  1. सुरक्षित यौन संबंध- असुरक्षित यौन संबंध के दौरान सदैव कंडोम का प्रयोग करें।
  2. सुरक्षित रक्त- सदैव लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक से ही रक्त लें।
  3. नई सुइयों का उपयोग- हर बार नई नीडिल या सिरिंज का इस्तेमाल करें।
  4. संक्रमित गर्भवती का सुरक्षित प्रसव- एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला को डॉक्टर की देखरेख में अस्पताल में प्रसव कराना चाहिए।

एचआईवी/एड्स के लक्षण:

  • अत्यधिक थकान और कमजोरी।
  • लगातार बुखार या रात को पसीना आना।
  • गले में सूजन या गले का दर्द।
  • वजन में तेजी से कमी।
  • त्वचा पर लाल चकत्ते या घाव।
  • बार-बार दस्त आना।
  • लंबे समय तक सूखी खांसी।

एचआईवी/एड्स की जाँच और उपचार की सुविधा

जिला समन्वयक टीबी ओमेन्द्र तिवारी ने बताया कि जनपद में 1700 एचआईवी/एड्स मरीजों का इलाज चल रहा है, और एचआईवी की जाँच की सुविधा जिले के सभी सीएचसी और पीएचसी पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव न करें, बल्कि उन्हें समुचित देखभाल और मानसिक समर्थन दें।

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