कई विद्यालयों में नहीं बन रहा मिड-डे-मील, डकार रहे धनराशि
फल और दूध तो बच्चों को कभी भी नहीं दिया जाता, जिम्मेदार मौन
नवाबगंज, समृद्धि न्यूज। भले ही सरकार स्कूल चलो अभियान के तहत करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रही है, ताकि सभी पढ़ें सभी बढ़ें, लेकिन सरकार के इस अभियान को शिक्षक ही फ्लाप करने में लगे हुए हैं। जिन हाथों में कलम और किताब होनी चाहिए, उन हाथों में शिक्षकों ने शौचालय साफ करने के लिए झाड़ू थमा दी।
जानकारी के अनुसार नवाबगंज विकास खंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय जोगापुर में छात्रों से शिक्षकों द्वारा शौचालय साफ कराये जा रहे हैं। खण्ड शिक्षाधिकारी की अनदेखी के चलते शिक्षकों के हौसले बुलंद हैं। जिससे वह मनमानी पर उतारु हैं। वहीं कई विद्यालयों में एमडीएम की धनराशि डकारी जा रही है। जिससे छात्र-छात्राओं को एमडीएम नहीं मिल पा रहा है। प्राथमिक विद्यालय जोधपुर में सोमवार को प्रधानाध्यापिका बबीता अपने कक्ष में बैठी थीं और उनके ही दो शिक्षक अपने-अपने मोबाइल चलाने में बिजी थे, जबकि बच्चों को शौचालय साफ करने की जिम्मेदारी दी गयी। वह पढ़ाई छोडक़र शौचालय साफ करते दिखे। जब इस बाबतखंड शिक्षा अधिकारी अमर सिंह राणा से जानकारी की गई, तो उन्होंने किसी भी प्रकार का कोई जवाब नहीं दिया और गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि यदि प्रधानाध्यापिका की गलती है, तो उन्हें नोटिस जारी किया जायेगा।
वहीं क्षेत्र के विद्यालय आठरुइया के प्रधानाध्यापक से जब एमडीएम में फल वितरण की बात पूछी गई, तो वह कोई स्थाई उत्तर नहीं दे सके, जबकि वहां मौजूद छात्राओं ने बताया कि उनको फल कभी नहीं दिए जाते हैं। वहीं प्रधानाध्यापक द्वारा किचन खोलकर दिखाया गया तो उसमें उन्होंने खाना बनाने की बात कबूली, लेकिन किचन देखकर लग रहा था कि इसमें कई दिनों से खाना नहीं बना है। जब एमडीएम भोजन के बावत छात्र-छात्राओं से जानकारी की गई तो किसी ने सोयाबीन आलू की सब्जी बताई, तो किसी ने आलू टमाटर की सब्जी बताई। सभी छात्र-छात्राओं ने अलग.अलग तरह की बात बताई। जिससे साफ उजागर हो गया की एमडीएम का खाना भी नहीं बना था। वहीं प्राथमिक विद्यालय जाफर नगर में जब से नवागंतुक खंड शिक्षाधिकारी ने चार्ज संभाला है तब से लगातार कभी भी फल वितरण नहीं हो रहा है ना ही एमडीएम में शामिल होने वाला दूध कभी वितरण होता है। ऐसे कई विद्यालय हैं जिनमें फल और दूध का वितरण नहीं हो रहा है। इसको खंड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही कहीं जाए या अनदेखी कही जाये।