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तेलंगाना के NMIMS में 80 छात्र फूड पॉइजनिंग का शिकार

तेलंगाना के जाडचेरला में स्थित नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) के 80 से अधिक छात्र फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए. खाना खाने के बाद छात्रों में मतली, उल्टी, पेट दर्द और बुखार के लक्षण दिखाई दिए. छात्रों ने आरोप लगाया कि NMIMS मैनेजमेंट ने बीमार छात्रों को अस्पताल ले जाने के बजाय घटना को दबाने का प्रयास किया. रिपोर्ट के अनुसार, एक प्राइवेट डॉक्टर ने यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी और कॉमन रूम के फर्श पर छात्रों का इलाज किया.

हैदराबाद: तेलंगाना के जाडचेरला में स्थित नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) के 80 से अधिक छात्र फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए। खाना खाने के बाद छात्रों ने मतली, उल्टी, पेट दर्द और बुखार की शिकायत की। छात्रों ने आरोप लगाया कि NMIMS प्रबंधन ने बीमार बच्चों को अस्पताल ले जाने के बजाय घटना को दबाने का प्रयास किया। मीडिया रिपाेर्ट्स के अनुसार, एक प्राइवेट डॉक्टर ने यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी और कॉमन रूम के फर्श पर बीमार छात्रों का इलाज किया।

मौके पर पहुंचे जाडचरेला के विधायक

घटना की जानकारी मिलते ही जाडचेरला विधायक पी. अनिरुद्ध रेड्डी संस्थान पहुंचे और प्रशासन को आड़े हाथों लिया. उन्होंने परिसर में छात्रों के साथ हो रहे व्यवहार पर हैरानी जताई. छात्रों का इलाज कर रहे डॉक्टरों की योग्यता और मेडिकल उपकरणों की कमी पर सवाल उठाते हुए विधायक ने प्रशासन को छात्रों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती करने का आदेश दिया. उन्होंने घटना को दबाने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने के विश्वविद्यालय के प्रयासों पर भी सवाल खड़े किए हैं. रेड्डी ने अधिकारियों से कहा कि आप केवल यूनिवर्सिटी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. आप बच्चों को बचाइए. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाएं. अगर इन्हें कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?” विधायक के हस्तक्षेप के बाद ही छात्रों इलाज के लिए महबूबनगर और हैदराबाद के अस्पतालों भर्ती किया गया.

छात्रों ने मैनेजमेंट पर लगाए गंभीर आरोप

पीड़त छात्रों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रशासन की विफलता केवल सुरक्षित और स्वच्छ भोजन देने तक ही नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि छात्रों को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं थी। जब छात्रों ने मैनेजमेंट पर दबाव बनाया तो एंबुलेंस की व्यवस्था की गई, इस घटना ने विश्वविद्यालय प्रशासन की पोल खोल दी है।

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