जनपद में पहली बार होगी गन्ने की प्राकृतिक खेती

*जगह चिन्हित करने में लगा विभाग, चार किसानों के दल ने किया दौरा
*राज्यपाल के गुरुकुल में जाकर किसानों ने देखी गन्ने की प्राकृतिक खेती की बोआई

बहराइच समृद्धि न्यूज| जिले में पहली बार किसान गन्ने की खेती भी प्राकृतिक विधि से करेंगे। जिससे कम लागत में उन्हें अधिक फायदा मिलेगा। इसके लिए चार किसानों का दल जिला गन्ना अधिकारी की अगुवाई कुरुक्षेत्र भ्रमण पर गया। किसान प्राकृतिक खेती से प्रभावित हुए। अब जगह चिन्हित कर किसानों को प्राकृतिक गन्ने की खेती के लिए तैयार किया जायेगा। इस खेती से जहां कम लागत आएगी, वहीं इसमें रसायनिक खाद छोड़ने की जरूरत ही नहीं है।जनपद कृषि बाहुल्य है। जिले के किसान नकदी फसल के रूप में गन्ने की बोआई अधिक मात्रा में करते हैं। जिसमें उन्हें काफी खर्च उठाना पड़ता है। साथ ही बाढ़ आने पर महसी, मिहिपुरवा, आंशिक कैसरगंज और नानपारा तहसील के किसानों की गन्ने की फसल बर्बाद हो जाती है। इससे किसानों का लागत निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इसको देखते हुए जिला गन्ना अधिकारी शैलेश मौर्य द्वारा किसानों को प्राकृतिक गन्ने की खेती के लिए तैयार किया जा रहा है।

अब किसान गन्ने की बोआई भी प्राकृतिक विधि से करेंगे:जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि अभी तक किसान सब्जी और अनाज प्राकृतिक विधि से करते थे। लेकिन अब किसान गन्ने की बोआई भी प्राकृतिक विधि से करेंगे। इसके लिए किसानों को उसके फायदे और खर्च के लिए बताया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनपद के चार प्रगतिशील किसानों को कुरुक्षेत्र में स्थित राज्यपाल आचार्य देव व्रत के गुरुकुल ले जाया गया। वहां पर गन्ने की प्राकृतिक खेती में लागत, सिंचाई और उससे बनने वाले वस्तुओं की गुणवत्ता के बारे में बताया गया। जिस पर किसान काफी प्रभावित हुए। सभी ने प्राकृतिक विधि से गन्ने की खेती करने की बात कही। इसके लिए अप्रैल से मई माह में कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विधि में यूरिया, डीएपी का छिड़काव फसल में नहीं किया जायेगा। सिर्फ जीवामृत खाद का प्रयोग किया जायेगा। यह खाद गोबर और गोमूत्र से बनेगा।

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