श्री सुंदरकांड पाठ समिति चिंतामणि के 24वें वार्षिक उत्सव में उमड़े भक्त

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। श्री सुंदरकांड पाठ समिति चिंतामणि के होने वाले 24वें वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में सुंदरकांड पाठ समिति के सदस्यों द्वारा मेहंदीपुर बालाजी जाकर बाबा को प्रथम निमंत्रण पत्र अर्पित कर कार्यक्रम में आमंत्रित किया। वहीं पर मंदिर के पुजारी द्वारा कार्ड का विमोचन भी किया गया। समित के सदस्यों द्वारा मेहंदीपुर बालाजी धाम में सुंदरकांड का पाठ का आयोजन किया गया एवं विश्व शांति की कामना की। कमेटी के अध्यक्ष संत कवि बृज किशोर सिंह किशोर ने बताया सुन्दर काण्ड वांछित फल दाता, प्रेम, भक्ति, श्रद्धा सहित पढ़े सुने उद्धार। श्री हनुमान भगवत्सेवा का एक उज्ज्वल उदाहरण और भगवत्कृपा का प्रत्यक्ष श्रीविग्रह हैं। उनका नाम राम है। जीवन का सूत्र है और राम का काम उस सूत्र की व्याख्या, उनका अवतरण ही इसी हेतु हुआ है। गोस्वामी जी कहते हैं पुरखा ते सेवक भये, हर ते मे हनुमान। यह जानकर कि राम की सेवा का आनन्द दुर्लभ है, स्वयं महादेव हर स्वरुप को छोडक़र हनुमान रुप में पृथ्वी पर अवतरित हुए। श्रीराम के स्वधामगमन के बाद भी चिरंजीवी हनुमान रामत्व की स्थापना में लगे लोगों के सहज सहायक बनकर आज भी उपस्थित हैं और भावभरी दृष्टि से इस सृष्टि से जुडक़र उनका प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है। गोस्वामी जी के मानस का सुन्दरकाण्ड सर्वसिद्धि प्रदाता अमृत मन्त्र है। इसका पाठ साधना के सूत्रों का संविधान है तो दसों दिशाओं में मंगल का वितान है। सामूहिक स्तर पर इसका उच्चारण भवसागर से तारण और सहज ही कष्ट निवारण का अमोघ साधन है। इस काण्ड का कथा में हनुमान जी दो पर्वत शिखरों पर चढ़ते हैं। वह विवेक के शिखर से बेहाभिमान के समुद्र को पार करने के लिये छलांग लगाते हैं तो वैराग्य के शिखर पर चढक़र प्रवृत्ति की स्वर्णमयी लंका को देखते हैं। वह यश की आकाँक्षा की सुरसा को प्रणाम करके उसका आशीर्वाद लेते हैं। स्वर्ण के पर्वत मैनाक से प्रलोभित नहीं होते। ईष्र्या की राक्षसी सिंहिका का विनाश करते हैं और प्रवृत्ति की लकिनी को मूच्र्छित कर देते हैं। श्रीराम और श्रीहनुमान अन्योन्याश्रित हैं श्रीराम मंगलभवन हैं। मंगलभवन अमंगलहारी, द्रबहु सो दशरथ अजिर बिहारी।। श्री हनुमन्त इस मंगलभवन में स्थापित मंगलमूर्ति हैं मंगलमूरति मारुत नन्दन, सकल अमंगलमूल निकन्दन।। इसी प्रकार श्रीराम का नित्य निवास श्री हनुमन्त का हृदय है प्रनवउँ पवन कुमार खल वन पावन ज्ञानधन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।। कलियुग के समस्त कलुषों का निकन्दन कर रामत्व की स्थापना करने में संलग्न श्री हनुमन्त की भक्ति श्रीराम की अनुरक्ति बनकर हमें संसारिक असक्ति से मुक्त करे और हमारे हृदय में अनुराग का राम जगाये यही प्रार्थना है। इस मौके पर अशोक वर्मा, घनश्याम बाजपेई, प्रशांत सिंह, नवीन कौशल, कमलेत दीक्षित, निर्मल दीक्षित, रामवीर सिंह, अनुप मिश्रा, अजीत वर्मा, अनुराग सिंह, संदीप वर्मा, नितेश वर्मा, चन्दन शुक्ला, पवन सिंह, अनुपम तिवारी, सुबोध मिश्रा, सौरभ सिंह, के0सी0 वर्मा, अभय दुबे, अनुराग पांडे, पवन गुप्ता, आदेश अवस्थी, शरद बाजपेई राणा, निधिश सिंह, सार्थक सिंह, गगन तिवारी, वीना वर्मा, पिंकी सोमवंशी, किरन पाल, अंजलि बाजपेई, पूजा वर्मा, क्षमा शुक्ला, कीर्ति वर्मा, मंजु दीक्षित, साची तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।

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