सुलह और समझौते में सभी का रहे मान और सभी को मिले न्याय-जिला जज

वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित किए गए कुल 26755 वाद, वसूली गई 246078393 रुपए की कुल समझौता राशि

अमिताभ श्रीवास्तव

अयोध्या समृद्धि न्यूज़। लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है।सुलह और समझौता के दौरान सभी का मान तथा सम्मान बना रहे और सभी को न्याय मिले,इसका ध्यान रखा जाता है।शनिवार को यह बातें जनपद न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष गौरव कुमार श्रीवास्तव ने कही।वे जनपद न्यायालय परिसर में आयोजित वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ अवसर पर मौजूद न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और आम जनमानस को संबोधित कर रहे थे।श्री श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है।इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी,तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर दोनों पक्षों की बातें सुनकर यह निर्णय लेते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं? और इसी को देखते हुए सुलह समझौता कराते थे तथा समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़ते थे।उन्होंने कहा कि सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश,मतभेद व दुर्भावना समाप्त हो जाती थी।श्री श्रीवास्तव ने कहा कि लोक कल्याण की भावना से ओत-प्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल तथा एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने का निर्देश दिया जाता हैं,जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित है। उन्होंने कहा कि लोग मिल-जुल कर प्रेम भावना से रहे,जो समाज व राष्ट्र के हित में है।यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं,तो उसे शांति तथा सदभाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए।यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त कलेक्ट्रेट और सभी तहसीलों में आपसी सुलह समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव शैलेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में आने वाले दोनों पक्षों के बैठने,शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करायी गई है।लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्ति के सुविधा का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि आज इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके।उन्होंने बताया की धारा 138 पराकाम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट),बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद बाद,विद्युत एवं जलवाद बिल,(अशमनीय वादों को छोड़कर) अन्य आपराधिक शमनीय वाद,पारिवारिक एवं अन्य व्यवहार वाद,पारिवारिक विवाद,भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन,भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले,राजस्व वाद,जो जनपद न्यायालय में लम्बित हो,अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किये गये।राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ श्री श्रीवास्तव द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए शिविरों का निरीक्षण किया और मौजूद कर्मियों से जानकारी ली।राष्ट्रीय लोक अदालत के नोडल अधिकारी अपर जिला जज बृजेश कुमार सिंह और प्राधिकरण सचिव श्री यादव ने संयुक्त रूप से बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 26755 वादों को निस्तारित किया गया तथा कुल समझौता राशि 246078393 रुपए की वसूली की गई है,जो कि पिछली लोक अदालत की अपेक्षा अधिक है।बताया गया कि बैंक रिकवरी से संबन्धित 811 प्री-लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये तथा बैंक संबन्धित ऋण 68524704 रुपए वसूल किये गये,जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक वाद निस्तारित किये गये हैं जबकि पारिवारिक विवाद से सम्बन्धित 45 मुकदमों को निस्तारित किया गया जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित किये गये है।इसी क्रम में संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों द्वारा 11435 वाद निस्तारित किया गया,जिसके एवज में कुल 70780 रुपए अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया जबकि सिविल न्यायालय द्वारा कुल 96 मामलों का निस्तारण किया गया जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक वाद निस्तारित किया गया है।इसके साथ राजस्व मामलों से संबधित 14209 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित किये गये।मोटर दावा अधिकरण में 131 में से 81 वादों का निस्तारण किया गया तथा 70457294 रुपए की वसूली की गई।विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा विगत लोक अदालत की तुलना में राजस्व मामलों से संबन्धित कम वाद निस्तारित किये गये हैं।इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय रामायण शर्मा,मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण सत्यदेव गुप्ता, पीठासीन अधिकारी,कामर्शियल न्यायालय सुशील कुमार शशि, अपर जिला जज प्रथम,अपर प्रधान न्यायाधीश,पारिवारिक न्यायालय एकता सिंह सहित अन्य न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे।

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