फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। न्यायालय ने थाना प्रभारी को न्यायालय में व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होकर लिखित स्पष्टीकरण देने के आदेश दिये हैं।
न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ज्ञानेंद्र कुमार ने राज्य बनाम मनोज अग्रवाल आदि पत्रावली में अभियुक्तगण द्वारा हाजिरीमाफी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। जो केवल आज तक स्वीकृत था। पत्रावली के अवलोकन से उपरोक्त प्रकरण में बयान चार्ज दिनांक 20 मार्च को विरचित किया जा चुका है, किन्तु अभी तक अभियोजन पक्ष द्वारा किसी भी साक्षी को न्यायालय के समक्ष परीक्षित नहीं कराया गया है। प्रकरण के समस्त गवाह पुलिस विभाग से संबंधित हैं। पूर्व नियत तिथि पर साक्षियों के विरुद्ध समन निर्गत किये गये, किन्तु संबंधित थाना प्रभारी द्वारा न तो समन का तामीला कराया गया और न ही इसकी कोई आख्या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गयी। जिस पर थाना प्रभारी फर्रुखाबाद को आदेशित किया जाता है कि 6.०1.२०२4 को न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होकर अपना लिखित स्पष्टीकरण दें। साथ ही इस आदेश की प्रति पुलिस अधीक्षक को प्रेषित की जावे कि एम0पी0/एम0एल0ए0 से संबंधित प्रत्येक पत्रावली में जारी आदेशिकाओं का तामीला व्यक्तिगत रुप से अपने स्तर से कराना सुनिश्चित करें, क्योंकि उपरोक्त पत्रावलियों का निस्तारण उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरुप नियत समय अवधि में कराया जाना आवश्यक है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि यदि पुलिस अधीक्षक व थाना प्रभारी फर्रुखाबाद द्वारा कोई शिथिलता बरती जाती है, तो उसके उत्तरदायी वह स्वयं होंगे।
वहीं अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ज्ञानेंद्र कुमार ने कायमगंज कोतवाली प्रभारी को १० जनवरी को नियत तिथि पर तलब किया है। न्यायालय द्वारा १२ दिसंबर में दर्ज कराये गये मुकदमे की धारा 409, 467, 468, 471, 120बी कोतवाली कायमगंज में अभियुक्तगण लुईस खुर्शीद व अतहर फारुकी के विरुद्ध 21 दिसंबर के लिए समन निर्गत किये गये तथा समन पर अंकित किया गया कि उक्त प्रकरण एम0पी0/एम0एल0ए0 से संबंधित है। जिसका तामीला सुनिश्चित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया था। कांस्टेबिल कमलेंद्र द्वारा आख्या प्रस्तुत की गयी कि अभियुक्तगण उपरोक्त पर तामीला विशेष कार्य सरकार/वीवीआईपी डियूटी होने के कारण समय से नहीं कराया जा सका और अग्रिम तिथि प्रदान किये जाने की याचना की गयी। उक्त आख्या आपके द्वारा अग्रेसित भी की गयी है। ऐसा प्रतीत होता है कि आप न्यायालय के कार्य के प्रति उदासीन हैं तथा न्यायालय के कार्यों में रुचि नहीं ले रहे हैं तथा अभियुक्तगण को सुनिश्चित लाभ पहुचाने के उद्देश्य से आदेशिकाओं की जान बूझकर तामीला नहीं करायी जा रही है। जिससे न्यायालय का समय व्यर्थ हो रहा है, जबकि उपरोक्त पत्रावलियों का निस्तारण उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरुप नियत समय अवधि में कराया जाना आवश्यक है। न्यायालय ने नोटिस देते हुए आदेशित किया है कि नियत तिथि 10 जनवरी को न्यायालय में उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण दें।