शान ए शौकत से निकाला गया जुलूस-ए-मोहम्मदी

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। वारसिया मस्जिद लाल दरवाजा में कुरान ख्वानी से जुलूस-ए मौला अली का आगाज किया गया जिसकी सदारत शहर काजी सैय्यद मुताहीर अली ने की। जुलूसे अली जनाब आफताब हुसैन व मौलाना फरहत अली जैदी पेश नमाज, सुनहरी मस्जिद मौलाना मेराज अली जाफरी मरकजी गाड़ी पर सवार थे। घुमना चौराहे पर मौलाना मेराज अली जाफरी ने हजरत अली के जीवन पर रोशनी डालते हुए कहा कि खान-ए काबा में हजरत अली की पैदाइश अल्लाह की मर्जी थी और जब तक अल्लाह ने अली को काबे में पैदा न कर दिया, काबा मुसलमानो का कि़ब्ला न बना, हजरत अली इंसानियत और हक़ के सबसे बड़े मुहाफिज थे, उन्होने हमेशा गरीबो बेवाओ व यतीमो की मदद की। हजरत अली साहिबे जुल्फिकार फातहे खैबरो खन्दक जमल व सिफ्फीन रहे। अल्लाह के रसूल ने अली के लिए कहा अली मुझसे है मैं अली से हूँ, अली मेरा नफ्सो जान है।
पक्कापुल पर मौलाना फरहत अली जैदी ने तकरीर करते हुए कहा कि हजरत अली इसांनियत का लश्कर है , दौरे खिलाफत में न कोई भूखा रहे न बेलिबास रहा। हजरत अली कयामत तक दुनिया वालों के लिए नमून ए अमल है हजरत अली जब किसी की मदद करते तो उसको मालूम भी न होता था कि मददगार कौन है आज इसांन अगर किसी की मदद करें तो ढिंढोरा पीटता है, लेकिन हजरत अली ने बताया कि अगर किसी की मदद करो तो उसको मालूम भी न हो कि मददगार कौन है जिससे उसको शर्मिन्दा न होना पड़े।
जुलूस लाल दरवाजा से लाल सराय, घुमना, चौक, पक्कापुल, तिकोना, रकाबगंज तिराहा होते हुए दरगाह हजरत अब्बास पर इक्तिताम पजीर हुआ।जुलूस में सर्वधर्म वालो हिंदू,मुस्लिम, सिख,ईसाई मजहब वालो को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर सैय्यद आफताब हुसैन, सैय्यद फरहत अली जैदी, सैय्यद अम्मार अली जैदी, सैय्यद मसर्रत अली जैदी, सैफ हुसैन, पपन मिया वारसी, बिलाल शफीकी, युसुफ जैदी, रहबर आब्दी, शारीफ हैदर,मुंतजिर जैदी,अल्ताफ आब्दी,इब्राहिम आब्दी,मेराज आब्दी,परवेज हुसैन,रहबर हुसैन,तौकीर जैदी, सैफ आब्दी आदि सैकड़ों लोग मौला अली के जुलूस में शामिल रहे।

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