रामनगरी की सिद्धपीठ उदासीन संगत ऋषि आश्रम में श्रद्धालु कर रहे हैं श्रीमद् भागवत कथा का अमृत पान
अमिताभ श्रीवास्तव।
समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। रामनगरी की सिद्ध पीठ उदासीन संगत ऋषि आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा का अमृतपान कराते हुए प्रख्यात भागवत कथा वाचक पूज्य पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि शब्दों का प्रयोग सोच समझकर किया जाना चाहिए।
शब्दों के माधुर्य और लालित्य को बनाए रखना चाहिए। जीवन की दिनचर्या में सार्थक और संयमित बोले।शब्दों को अपने होठों तक लाने से पहले तोलें और फिर बोलें।पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने श्री राधे राधे का जप करते हुए बताया कि शब्द आपकी आत्मा के परिचायक हैं।आपकी वाणी ही आपका परिचय और पहचान है, इसलिए मधुर,सरस,प्रिय और सर्वथा सत्य बोले।कथा व्यास पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि मानव को अपने जीवन में सरलता लानी चाहिए।यदि मानव के जीवन में सफलता होगी तभी वह आगे बढ़ सकेगा।उन्होंने कहा कि जिस तरह वर्तमान समय में हर व्यक्ति को आधार की जरूरत होती है,उसी तरह जीवन को सफल बनाने के लिए श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना आवश्यक होता है।कथा में मुख्य रूप से उदासीन संगत ऋषि आश्रम के महंत डॉ भरत दास, मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास,हिंदुस्तानी भाऊजी महाराज, रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण दास,महंत करतार दास जी महाराज व कृष्ण जी महाराज के साथ बड़ी संख्या में रामनगरी की प्रसिद्ध पीठ के संत व महंत मौजूद रहे।