संत के दृढ़ संकल्प के आगे कोई भी कार्य असंभव नहीं-श्याम दास

अयोध्या में पूर्ण मनोयोग से चल रहा है 2121 कुण्डीय श्री राम महायज्ञ।

समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष में गत 10 फरवरी से शुरू किया गया 2121 कुण्डीय श्री राम महायज्ञ आगामी 18 फरवरी तक चलेगा।यज्ञ में कथा मंच पर साकेतवासी यज्ञ सम्राट कनक बिहारी जी को मंच से श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके कृतित्व और दृढ़ संकल्प पत्र प्रकाश डालने वाले उनके शिष्य यज्ञकर्ता श्याम दास लखन दास छोटे बाबा परिश्रम कार्य यज्ञ को सफल बनाने में लगे हुए है। उन्होंने कहा कि यदि संत दृढ़ संकल्प ले तो कोई भी कार्य ऐसा नहीं है जो असंभव हो।योगी का संकल्प संसार में सबसे प्रसिद्ध है। संत हमेशा परोपकार के लिए जीवन जीते हैं और परोपकार के लिए कार्य करते हैं।ऐसी मान्यता है कि 18 पुराण और व्यास संतों का वचन है।संत मन,कर्म और वचन से परोपकार के लिए कार्य करते हैं।पृथ्वी पर पांच परोपकारी माने जाते हैं।

“संत बिटप सरिता गिरी धरनी, पर हितलाग सबन्ह करनी।।” उन्होंने इस चौपाई से श्री रामचरितमानस का उदाहरण देते हुए विश्वामित्र जी का भी दृढ़ संकल्प सुनाया।उन्होंने बताया कि विश्वामित्र जी ने विश्व में मित्र की भावना को चरितार्थ करते हुए यज्ञ में सुवाहु और मारीच के द्वारा खलल पैदा करने पर भगवान श्री राम और लक्ष्मण को बक्सर अपने आश्रम पर ले आए और आताताइयों को दंडित कराके यज्ञ को संपन्न कराया।उन्होंने कहा कि संत केवल यज्ञ ही नहीं करते बल्कि दूसरे के यज्ञ को भी संपन्न करते हैं।उन्होंने बताया कि श्री रामचरितमानस में छह प्रकार के यज्ञों का वर्णन किया गया है। इसमें तीन यज्ञ पूरे हुए हैं और तीन यज्ञ पूरे नहीं हुए,क्योंकि उन यज्ञ की भावनाएं और हवन सामग्री दूषित थी।उन्होंने बताया कि रावण,मेघनाथ और दक्ष का यज्ञ सफल नहीं हुआ।यज्ञ से सतयुग त्रेता युग,द्वापर युग और कलयुग तक की महिमा बताते हुए कहा कि यदि सच्चे मन से यज्ञ में आहुति दी जाए तो सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।इसी के एक उदाहरण स्वरूप अयोध्या के पास स्थित मखौड़ा नाम से एक यज्ञ स्थान को जाना जाता है जहां वशिष्ठ जी महाराज ने पवन यज्ञ कराया और पृथ्वी का उद्धार करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का उस यज्ञ से जन्म हुआ जिसको पुत्रेष्टि यज्ञ के नाम से जानते हैं।उन्होंने जब यज्ञ की महिमा सभी श्रोताओं और यजमानों को सुनाई तो यजमान भाव विभोर हो गए और यह दृढ़ संकल्प लिया कि जब कभी ऐसा मौका मिलेगा तो यज्ञ और सत्संग में भाग जरूर लेंगे। कथा में प्रमुख यजमान मुनिराज पटेल,मंच संचालक रामनरेश, देवेंद्र सिंह,जीवन सिंह,निरंजन सिंह,दान सिंह,चक्रपाल सिंह, कपिल रघुवंशी,वीर सिंह तथा घनश्याम सिंह आदि मौजूद रहे।

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