खेतों से लेकर सडक़ों तक आवारा गौवंशों का आतंक, ग्रामीणों में आक्रोश

सरकार के आदेश का जिम्मेदार नहीं कर रहे पालन
शमशाबाद, समृद्धि न्यूज।
जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते बड़ीं संख्या में आवारा गौवंश किसानों के खेतो से गांव की गलियों तथा सडक़ो तक बर्बादी के साथ-साथ मौत का भी कारण बने हुए है।
क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में आवारा खूंखार गौवंशो का झुंड घूमते देखे जा सकते है। गौवंशों को भगाने पर जान के दुश्मन बन जाते है। गांव की गलियों से लेकर सडक़ों तक यही आवारा गोवंश मौत का भी कारण बनते है। मालूम रहे ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में आवारा गोवंश जो किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।

फसलों को बचाने के लिए किसानों को रात दिन जागना पड़ रहा है। गंगा कटरी क्षेत्र में और भी बुरा हाल है। यहां सैकड़ो की संख्या में आवारा गोवंश किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे है। किसानों का कहना है आवारा गौवंशो का झुंड जिस खेत में घुस जाते उसी खेत की फसल बर्बाद कर देते है। हम लोग सर्दी, गर्मी, बरसात धूप की परवाह नहीं करते है। अपनी फसलों की रखवाली के लिए खेत में रुक कर जागते है। जब भी कोई आवारा जानवरों का झुंड खेतों में घुसने का आहट मालूम होती है तो भगाने के लिए ढोल बजाकर शोर मचाते है और भागने का प्रयास करते। इतना सब कुछ होने के बावजूद कुछ आवारा खूंखार जानवर है जो हिंसक होकर जान के दुश्मन बन जाते हैं। क्षेत्र में कई किसान आवारा गोवंशों के हमले के शिकार होकर घायल हो चुके हैं व कई लोग अपनी जान भी गवां चुके है। कुछ दिन पूर्व थाना क्षेत्र के ग्राम कुइया धीर निवासी दीपक कुमार प्रजापति बाजार से अपने घर बाइक से आ रहे थे, तभी रास्ते में एक सांड ने उन पर हमला बोला, सांड से बचने के लिए बाइक का हैंडल दूसरी ओर घुमाया तो टै्रक्टर से जा टकराया और मौके पर ही मौत हो गयी थी। हिंसक पशुओं को पकड़वाने के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार जिला प्रशासन से मांग की गई। अफसोस आवारा सांडो को पकड़वाये जाने के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जाती रही। जिम्मेदार अधिकारी जिलाधिकारी व सरकार को गुमराह कर रहे है।

वर्तमान में किसानों के खेतों में आलू के अलावा सरसों गेहूं जैसी महत्वपूर्ण फसल तैयार हो रही। जिन्हे आवारा गौवंश बर्बाद कर रहे हैं। सरकार गौवंंश संरक्षण के लिए जगह-जगह गौशालाओं का निर्माण करा रखा है। लाखों रुपया खर्च कर गौवंशों को पकड़वाकर उनमें रखा जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। कागजों में एक भी गौवंश छुट्टा घूमने का जिक्र नहीं मिलेगा, लेकिन खेतों में झुंड के झुंड देखने को मिलेगे। कई बार ग्रामीण व किसान यूनियन के लोगों ने अपने स्तर से गौवंशों को पकड़वाया। बीते वर्ष अमृतपुर क्षेत्र के किसानों ने प्रशासन व सरकार को यह दिखाने के लिए तहसील परिसर में बड़ी संख्या में गौवंश पकडक़र बंद कर लिये थे। उन गौवंशों को गौशालाओं में पहुंचाने के लिए अधिकारियों के पसीने छूट गये थे। लगभग ३ दिन तक कई तहसीलों के राजस्व कर्मी लगाये गये, तब जाकर अमृतपुर तहसील को बंद किये गये गौवंशों से मुक्त करा पाया था।

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