यह कैसा नारी सशक्तिकरण, सीएम की सभा में भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष का हुआ अपमान

नाम लेना तक भूल गये भाजपाई, जिलाध्यक्ष पर निकाली भड़ास
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। भारतीय जनता पार्टी भले ही मातृ शक्ति का सम्मान करना कहते नहीं थकती हो, लेकिन जो आज हुआ उससे साफ हो गया कि भाजपा के दांत दिखाने के और तथा खाने के और। सिर्फ मतलब के लिए नारी वंदना करने में लग जाते, जब सम्मान की बात आती तो मातृ शक्ति को भूल जाते। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा प्रत्याशी सांसद मुकेश राजपूत के पक्ष में बुधवार को जनसभा को सम्बोधित करने फर्रुखाबाद आये थे। मंच पर कई ऐसे चेहरे थे जो सिर्फ फोटो खिंचाने में सबसे आगे दिखायी दिये, लेकिन जिन्होंने कार्यक्रम में महिलाओं की भीड़ जुटायी, उन्हें ही भाजपा के लोग भूल गये। भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष बबिता पाठक ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अधिक से अधिक महिलाओं को सभास्थल तक पहुंचाने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया और वह सफल हुई,ं लेकिन जब सम्मान की बात आयी तो न ही उन्हें मंच पर जगह दी गई और न ही किसी भी वक्ता ने उनका नाम लिया। ऐसे में अपने को असहज सा महसूस कर भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष भाजपा नेत्री मीरा सिंह के साथ मंच के सामने पड़ी कुर्सियों पर एक तरफ जाकर बैठ गयी। उन्होंने सोचा कि शायद अब प्रत्याशी या कोई नेता हमें देखकर नाम पुकारेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसकी नाराजगी महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष के चेहरे पर साफ दिखायी दे रही थी। उन्होंने हमारे संवाददाता को बताया कि इस संदर्भ में मंैने अपनी नाराजगी जिलाध्यक्ष रुपेश गुप्ता के समक्ष जाहिर की, तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि प्रत्याशी जाने। भाजपा के कुछ लोग दबी जुबान से सभा से निकलते समय बात कर रहे थे कि प्रत्याशी के तो जीत का अभी से ही चश्मा चढ़ गया। योगी की सभा में नारी शक्ति के अपमान के संदर्भ में जानकारी करने के लिए जब जिलाध्यक्ष से संपर्क किया गया तो उनकी ओर से कोई जबाव नहीं आया। सांसद मुकेश राजपूत से भी जानकारी करनी चाही पर उनकी ओर से भी कोई जबाव नहीं दिया गया। अगर इसी तरह महिला नेत्रियों का अपमान होता रहा, तो आने वाले समय में भाजपा को कार्यक्रम में महिलायें लाना मुश्किल पड़ जायेगा।

सभा में सबसे ज्यादा दिखायी दी आशायें

फर्रुखाबाद। मुख्यमंत्री की जनसभा सभी कुर्सियां भरने के लिए कई दिनों से कुछ विभाग के अधिकारियों पर अच्छा खासा पार्टी ने दबाव बना रखा था। जिसके चलते अधिकांश कुर्सियों पर आशा बहुएं, आंगनवाड़ी व कार्यकत्री बैठी देखी गईं, जबकि असलियत की भीड़ नदारद रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *