न्यायालय ने अभियुक्त पर 70 हजार रुपये का ठोंका जुर्माना
शिक्षिका ममता सागर को भी न्यायालय ने किया तलब
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। साक्ष्य एवं गवाहों के आधार पर विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर एक्ट/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या-५ राकेश कुमार सिंह-प्रथम ने पति को पत्नी की हत्या में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है तथा 70 हजार रुपया जुर्माना किया है।
घटनाक्रम के अनुसार अनिल कुमार सगर पुत्र श्रीराम निवासी ग्राम ककिउली थाना नवाबगंज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि दिनांक 08.09.2013 को अपने मूल निवास ककिउली से अपने हाल निवास कस्बा नवाबगंज अपनी पत्नी ममता रानी उम्र 42 वर्ष के साथ बाइक बजाज संख्या यू.पी.76एफ5886 से आ रहा था। वीरपुर से नवाबगंज के मध्य नगला झब्बू सिंह के निकट लगभग 7.15 बजे सायं बाइक किनारे खड़ी करके पेशाब करने लगा। उसी समय वीरपुर से नवाबगंज की तरफ तेज रफ्तार से आ रही पिकअप चालक ने उसकी पत्नी ममता रानी के टक्कर मार दी तथा नवाबगंज की ओर तेज गति से चली गयी। अंधेरे में गाड़ी का नंबर नहीं देख सका। अनिल सगर ने घटना की सूचना 108 नंबर पर दी। मौके पर पहुंची एंबूलेंस ने महिला को सीएचसी नवाबगंज लायी। जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया, जबकि साक्ष्यों का सम्यक परिशीलन करने पर पाया गया कि घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है। घटना पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। घटना के सम्बन्ध में पत्रावली पर उपलब्ध अभियोजक साक्ष्यों एवं बचाव साक्ष्यों की सम्यक विवेचना करने पर यह पाया गया कि अभियोजक के द्वारा परिस्थितिजन्य साक्ष्य की जो चैन बनायी गयी है उस चैन की प्रत्येक कडिय़ां एक दूसरे से जुडक़र यही साबित करती हैं कि मृतका ममता रानी की मृत्यु वाहन दुर्घटना से नहीं हुई, बल्कि अनिल सगर द्वारा उसकी हत्या दुर्घटना का स्वरुप देकर षडयंत्र के तहत सुनियोजित तरीके से सांस अवरुद्ध करके कारित की गयी थी। घटना के पीछे जो साक्ष्य प्रकाश में आये उसके अनुसार अनिल सगर ने उपरोक्त घटना शिक्षिका से प्रेम प्रसंग के चलते कारित की थी। बताते हैं कि शिक्षक अनिल सगर तथा शिक्षिका ममता सागर एक ही विद्यालय में शिक्षक थे। उस समय ममता सागर अविवाहित थी। वर्ष 2010 में ममता सागर की शादी सतीशचंद्र के साथ हुई थी। जबकि ममता सागर सतीशचंद्र को पसंद नहीं करती थी। अनिल सागर भी अपनी पत्नी ममता रानी से छुटकारा पाकर ममता सागर से शादी करना चाहता था। जिसके चलते उसने यह घटना षडयंत्र के तहत कारित की। अभियोजक पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्य के माध्यम से अभियुक्त पर लगाये गये आरोप को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में सफल हुआ है। इस प्रकार अनिल सागर पर उपरोक्त दोष सिद्ध होता है। अनिल सगर को धारा-302, 201 आई.पी.सी. के आरोप में दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास तथा 70 हजार जुर्माना से दण्डित किया गया। वहीं शिक्षिका ममता सागर को विवेचना में पुलिस ने निकाल दिया था, जबकि साक्ष्य व बयानों के आधार पर न्यायालय ने उपरोक्त शिक्षिका को भी तलब किया है।