मध्य प्रदेश के एक लाख बुजुर्गों को हर महीने मिलने वाली 600 रुपये की पेंशन बंद हो गई है. ये सभी बुजुर्ग इंदिरा गांधी ओल्ड एज पेंशन स्कीम से जुड़े हुए थे. सरकार ने ये पेंशन बंद करने का आदेश भी जारी कर दिया है. आदेश में इन सभी बुजुर्गों को पेंशन के लिए अपात्र बताया है मध्य प्रदेश सरकार ने करीब 1 लाख बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन को बंद कर दिया है। इसे लेकर अब प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार वृद्धों के हक का पैसा अपनी सुविधाओं में खर्च कर रही है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी इस मामले में कहा कि किसी बुजुर्ग की मृत्यु हुई तो सरकार पर धारा 302 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। इस योजना के बंद होने से कई बुजुर्ग सड़कों पर आ जाएंगे, भूखे मरने को मजबूर हो जाएंगे। सरकार ने अपने स्वार्थ के लिए पहले योजना की राशि 1000 करने का वादा किया था। अब स्वार्थ पूरा होने पर बुजुर्गों को भूल गए।
यह मामला सामाजिक न्याय विभाग के तहत आता है. इस मामले को लेकर विभाग का कहना है कि इंदिरा गांधी ओल्ड एज पेंशन स्कीम से जुड़े हुए सभी बुजुर्गों के दस्तावेजों की जांच की गई थी. इस दौरान जिन बुजुर्गों के नाम, पते, आयु और लिंग आधार के मुताबिक नहीं मिले उन्हें इस स्कीम से बाहर कर दिया गया है. इन बुजुर्गों की जैसे ही प्रोफाइल अपडेट ही, वे स्कीम के लिए अपात्र हो गए. बता दें, अभी तक सामाजिक न्याय विभाग इन बुजुर्गों को आयु प्रमाण-पत्र, बीपीएल कार्ड और कुछ फोटो के साथ पेंशन दे देता था. इन्हीं कागजातों से उनकी आयु की भी पुष्टि की जाती थी. लेकिन, अब विभाग को सारे दस्तावेज आधार के मुताबिक चाहिए. इसलिए जिनको भी ये पेंशन चाहिए उन्हें आधार के मुताबिक बने दस्तावेज पेश कर दोबारा आवेदन करना होगा.