मारपीट के मामले में आरोपी को एक वर्ष परिवीक्षा की सजा

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। मारपीट के मामले में विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त जमील को दोषी मानते हुए एक वर्ष की परिवीक्षा से दंडित किया।
कोतवाली फतेहगढ़ के ग्राम नगला जखा निवासी मीना देवी ने दर्ज कराये मुकदमे में दर्शाया था कि वह हरिजन जाति है। उसका पति छोटेलाल दिव्यांग है। मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। याकूतगंज निवासी जमील, जलील, वकील जाति पठान के लोग है। आरोपीगण मेरे पति को घर से बुलाकर ले जाते है और मजदूरी करवाते है, लेकिन मजदूरी के पैसे तक नहीं देते। जब मेरे पति मजदूरी के पैसे मांगते तो आरोपीगण मारपीट करते तथा जाति सूचक गाली-गलौज देते है। 1 मार्च 2006 को आरोपीगण मेरे पति को घर से बुलाकर ले गये। एक सप्ताह तक बंद रखा और रोज खेत में मजदूरी करवाते रहे। 7 मार्च को छोड़ दिया। 9 मार्च को जब मेरे पति मजदूरी के पैसे मांगने गये तो आरोपियों ने मारपीट की और धमकी दी कि अगर दोबारा पैसे मांगे तो जाने से मार देंगे। जब याकूतगंज चौकी में शिकायत की तो आरोपीगण रंजिश मानने लगे और लगातार जानमाल की धमकी देने लगे। 16 मार्च को मैं अपने दस वर्षीय पुत्र के घर पर थी, तभी आरोपीगण घर में घुस आये और मारपीट के मेरी तरफ दौड़े मैं भागकर कमरे में घुस गयी और कमरा बंद कर लिया। शोर शराब सुनकर मेरे पति व आसपास के लोग आ गये। जिन्हे देखकर आरोपीगण घर में रखे दो हजार रुपये व चांदी की तोडिय़ा उठा ले गये और तमंचा से फायर कर दहशत फैलाने की कोशिश की। 4 अपै्रल को न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। 5  अपै्रल को आरोपीगण घर में तमंचा लेकर घुस आये और मुझे बुरी नियत से दबोच लिया। मेरी बुजुर्ग मां बेहोश हो गयी। मेरे पति को चारपाई में रस्सी से बांध दिया। आरोपियों ने बारी-बारी से दुष्कर्म किया। पुलिस ने धारा 322/34, 504, 506, 376 व एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया। बचाव पक्ष व शासकीय अधिवक्ता की कुशल पैरवी के आधार पर वशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त जमील को दोषी मानते हुए एक वर्ष की परिवीक्षा से दंडित किया। वहीं धारा 376, 506 व एससी/एसटी एक्ट के आरोप में दोषमुक्त कर दिया गया।

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