फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। जानलेवा हमले करने के जबावी मुकदमे के मामले में सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को चार-चार वर्ष के कारावास व ५-५ हजार रुपये के जुर्माने की सजा से दंडित किया।
विगत वर्ष १९८९ में थाना कम्पिल के धनी नगला निवासी श्रीकृष्ण ने हरिशंकर पुत्र बाबूराम, चन्द्रसेन पुत्र बाबूराम पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना करके आरोप पत्र दाखिल कर दिया। पीडि़त ने दर्शाया था कि २० वर्ष पहले बाबूराम पुत्र कुबेर ने पीडि़त की मां के गोली मारी थी। जिससे बाबूराम को अदालत ने सजा दी थी। उनका दीवानी का मुकदमा चल रहा है। जिस कारण से बाबूराम रंजिश मानते है। इसी के चलते उन्होंने अपने लड़कों हरिशंकर व चन्द्रसेन के साथ हथगोला, बंदूक व कुल्हाड़ी के साथ आकर जान से मारने की नियत से हमला कर दिया।इस मामले में न्यायालय ने हरिशंकर व चन्द्रसेन को धारा ३०७ में चार वर्ष की सजा व ५ हजार रुपये जुर्माना व धारा ३२४ में एक वर्ष का कारावास व २ हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। वहीं दूसरी ओर धनी नगला निवासी हरिशंकर ने दर्ज कराये मुकदमे में कहा कि वह व उसका भाई चन्द्रसेन, पिता बाबूराम, मां खेत पर गेहूं की कटाई कर रहे थे। उसी समय किशान पाल, श्रीकृष्ण, हरेन्द्र पुत्रगण रामस्वरुप, छंगा पुत्र भोला बंजारा, पंचुआ पुत्र बुद्धा धोबी, फजले पुत्र शेरा अपने हाथों में तमंचा कारतूस हथगोले लेकर आये और जान से मारने की नियत से हमला कर दिया। शोर गुल सुनकर गांव के लोग आ गये तब आरोपीगण जानमाल की धमकी देकर भाग गये। न्यायाधीश ने श्रीकृष्ण, हरेन्द्र व पंचुआ को धारा ३०७ में चार वर्ष का कारावास व प्रत्येक पर ५ हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। डीजीसी सुदेश प्रताप सिंह, पंकज कटियार व संजीव कुमार पाल की कुशल पैरवी के चलते दोषियों को सजा मिली।