फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। श्री पांडेश्वर नाथ शिवालय में चल रही सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण की कथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास ज्ञानेश महाराज ने तृतीय दिवस की कथा में भगवान विष्णु जी, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति की कथा व रुद्र अवतार की कथा सुनाई।
उन्होंने कहा हम किसी का भजन करें, चाहे राम को, चाहे कृष्ण को, चाहे शिव को भजे, परंतु हमारे हृदय में हमारे चित्त में जो समा जाता है। वही अपने परम भक्त को अपना मानकर अपने साथ अपने धाम को ले जाता है। परंतु हमारा अंतिम क्षण ही हमारे अगले जन्म की गति को तय करता है। अपना अंतिम लक्ष्य परमात्मा को पाना ही है, वह हमें सदैव याद ध्यान रखना चाहिए। अगर हमारे चित्त में निरंतर भोलेनाथ समाहित हैं तो निश्चित मानिए एक न एक दिन भगवान शिव आपकी मनोकामना को अवश्य पूर्ण करेंगे। परंतु इसके लिए परमात्मा को कुछ देना भी पड़ता और परमात्मा हमारे साधनों से प्रसन्न नहीं होते परमात्मा हमारी कीमती भेंट से प्रसन्न नहीं होते। हमें परमात्मा को अपनी मन में बैठे अहंकार की भेंट चढ़ाने होगी, तभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है। हमारे कई कई जन्मों का ज्ञान का अंधकार अगर हमें मिटाना है तो हमें बस एक ज्ञान का दीपक अपने हृदय में, मन में जलाना होगा। कथा के प्रसंग में मां सती के द्वारा भगवान राम की परीक्षा लेना सती का दक्ष यज्ञ में भस्म होने की कथा सुनाई। मां सती ही ने पार्वती जी के रूप में हिमालय राज के यहां प्रकट हुई हैं यह कथा भी सुनाई। कथा के बीच में मधुर संगीत व भजनों में भक्तगणों ने खूब आनंद लिया। कथा में आज के यजमान प्रमोद झा एवं रंजना झा रहे। कथा में धीरेन्द्र वर्मा, गोविंद अवस्थी, वीरेन्द्र मिश्रा, रमाकांत तिवारी, सोहन लाल दिवाकर, विश्राम सिंह राजपूत, संजीव कुमार, मंजू शर्मा उपस्थित रहे।