बेड आपातकालीन CMO की संस्तुति पर मंकी पॉक्स रोगियों को आवंटित किए जाएंगे और उनका उपचार मेडिसिन विभाग द्वारा किया जाएगा। AB-7 रोगी को रखने के लिए तब तक एक अस्थायी क्षेत्र बना रहेगा जब तक कि उसे सम्पूर्ण देखभाल के लिए निर्धारित अस्पताल (सफदरजंग अस्पताल) में स्थानांतरित नहीं कर दिया जाता।
दिल्ली सरकार ने अपने तीन अस्पतालों को मंकीपॉक्स के संदिग्ध और पुष्ट मामलों के प्रबंधन के लिए आइसोलेशन कमरे तैयार करने का निर्देश दिया है. अधिकारियों ने बताया है कि दिल्ली में मंकीपॉक्स का अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद भारत में इस बीमारी का खतरा बढ़ गया है. मध्य अफ्रीका के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो से निकली ये बीमारी अब पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रही है. बता दें कि एमपॉक्स एक वायरल जूनोसिस बीमारी है, जिसके लक्षण पुराने समय में होने वाली स्मॉलपॉक्स जैसे होते हैं. हालांकि यह उसके मुकाबले कम गंभीर है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने मंकीपॉक्स आउटब्रेक को ग्लोबल कंसर्न पब्लिक हेल्थ इमरजैंसी घोषित किया है. यही वजह है कि इसके लिए बहुत ज्यादा जागरुकता, रैपिड पहचान और इसके फैलाव को रोकने के लिए बचाव के उपायों को अपनाने की जरूरत है. हालांकि एम्स की ओर से अब इमरजेंसी में मंकीपॉक्स के मरीजों को हैंडल करने के लिए एसओपी जारी की गई हैं. एम्स में मेडिकल सुप्रिटेंडेंट प्रोफेसर निरुपम मदान की ओर से एम्स के सभी विभागों और यूनिट हेड्स को ये दिशानिर्देश दिए गए हैं.
AIIMS Delhi issues protocol for handling patients with suspected Monkeypox. pic.twitter.com/7AZhZULNyz
— ANI (@ANI) August 20, 2024
इमरजेंसी स्क्रीनिंग
बुखार और रैश छालों के साथ या किसी मंकीपॉक्स पीड़ित के संपर्क में आने की हिस्ट्री के साथ आए मरीज को तुरंत इमरजैंसी में इलाज दिया जाए. इसके साथ ही अगर मरीज को बुखार, सिरदर्द, मसल्स में दर्द, बैक पेन, सूजे हुए लिंफ नोड, सांस लेने में दिक्कत और स्किन पर छाले, फफोले आदि हैं तो उन लक्षणों को तुरंत आइडेंटिफाई किया जाए.
संदिग्ध मरीजों के लिए
असल में एलएनजेपी को नोडल अस्पताल के रूप में नामित किया गया है, जबकि दो अन्य अस्पताल को तैयार रहने के लिए कहा गया है. लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में मरीजों के लिए आइसोलेटेड 20 कमरे होंगे, जिनमें से 10 कंफर्म मामलों के लिए होंगे. गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल और बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए 10-10 कमरे होंगे, जबकि संदिग्ध मरीजों के लिए पांच-पांच कमरे होंगे.