अमिताभ श्रीवास्तव
समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की 63वीं अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।कार्यक्रम का शुभारंभ समस्त अतिथियों ने जल भरो कार्यक्रम के साथ किया।इस मौके पर गेहूं एवं जौ की विभिन्न प्रजातियों को विकसित कर कृषि क्षेत्र को गौरवान्वित करने वाले लगभग 50 वैज्ञानिकों को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।यूएएस धारवाड़ व आईएआरआई पुणे को सर्वश्रेष्ठ अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ परियोजना केंद्र के रूप में सम्मानित किया गया।इस दौरान बोरलोग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीआईएसए) व कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. टी.आर. शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यशाला को संबोधित किया।उन्होंने देश में इस वर्ष गेहूँ के 112.9 मिलियन टन रिकार्ड उत्पादन को प्राप्त करने पर देशभर के गेहूँ एवं जौ वैज्ञानिकों, किसानों एवं नीति निर्धारकों को बधाई दी।उन्होंने कहा कि ट्रांसबाउंडरी फसल रोगों के भारत में प्रवेश के बढ़ते खतरों को ध्यान में रखकर काम करने की भी जरूरत है।इस संदर्भ में उन्होंने भारत-सिम्मिट सहयोग से गेहूँ के ब्लास्ट् रोग के विरूद्ध चल रहे सफल जननद्रव्य मूल्यांकन एवं भारत की अग्रिम पादप प्रजनन तैयारियों को सराहनीय करार दिया।डीडीजी ने कहा कि 2050 तक 140 मिलियन टन गेहूं की पैदावार के लिए तैयार रहने की जरूरत है।गेहूं में बायोटेक्नोलॉजी की नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करते हुए नई प्रजातियों के लिए कार्य करने की आवश्यकता है जिसमें सीआईएमएमवाईटी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान की भी सहभागिता ली जानी चाहिए।जौ के लिए आईसीएआरडीए अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के साथ मिलकर नई प्रजातियों पर तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है।गेहूं के ग्लूटेन प्रोटीन के द्वारा होने वाले सेलियेक एलर्जी के लिए होने वाले अनुसंधान के बारे में चर्चा की जिसमें एआईआईएमएस, एनआईआई एवं एनआईपीबी साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। कुलपति को विश्वविद्यालय में वाइल्ड गेहूं के गार्डन बनाने के लिए भी सुझाव दिया।विशिष्ट अतिथि कृषि विश्वविद्यालय धारवाड़ के कुलपति डॉ. पी.एल. पाटिल ने कहा कि गेहूं एवं जौ का उत्पादन देश के साथ-साथ पूरे विश्व में बढ़ाना होगा।आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधन एवं प्राकृतिक स्त्रोत घटते जा रहे हैं,इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि किसानों को गेहूं के कटाई एवं भंडारण के समय विशेष ध्यान देने की जरूरत है जिससे कि अनाजों को नुकसान होने से बचाया जा सके।इस दौरान उन्होंने कर्नाटक में गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए गेहूं की प्रजाति डीडब्ल्यूआर 162 व डीडब्ल्यूआर 139 की जमकर सराहना की।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.बिजेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विवि की विकसित प्रजाति नरेंद्र आंवला-7,नरेंद्र बेल-7 और 9 पूरे देश में प्रचलित है।उन्होंने गेहूं की शून्य जुताई अपनाने के लिए जोर दिया जिससे कि धान की पराली को जलाने की समस्या से निजात पाया जा सके।उन्होनें कहा कि हेप्पी सीडर,सुपर सीडर जैसी आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं जिनसे धान की पराली में गेहूं की बीजाई आसानी से की जा सकती है।उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि ऐसी तकनीकों को विकसित करें जो कि आर्थिक रूप से व्यवहारिक हो।विशेष अतिथि के रूप में मौजूद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ. एस. के. प्रधान ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए रासायनिक खादों का कम प्रयोग करना होगा।विभिन्न प्रकार के प्रजनन विधियों में बदलाव लाने की जरूरत है,जिससे की किसानों को अधिक लाभ हो सके। उन्होंने जौ की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी प्रेरित किया।भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डा. रतन तिवारी ने 2023-24 की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की दो एवं जौ की एक किस्म को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को समर्पित किया गया। वर्ष 2023-24 में गेहूं की 11 प्रजातियां विकसित की गईं। इस मौके पर सभी अतिथियों द्वारा गेहूं एवं जौ संदेश,न्यूज लेटर, स्मारिका सहित कई अन्य पुस्तकों का विमोचन किया गया।
इससे पूर्व सभी अतिथियों ने आचार्य नरेंद्र देव की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं जल भरो के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छात्राओं ने विवि कुलगीत प्रस्तुत कर सभी अतिथियों का स्वागत किया।मुख्यअतिथि डा. टी.आर. शर्मा एवं अन्य सभी अतिथियों को कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने शॉल,पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।कृषि अधिष्ठाता डा. प्रतिभा सिंह व डा. चंद्र नाथ मिश्रा के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्वागत संबोधन निदेशक शोध डा. ए.के.गंगवार ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा.अनुज कुमार ने किया।इस मौके पर विभिन्न संस्थानों से आए निदेशक, कुलपति,वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विवि की कमेटी के सभी अध्यक्ष एवं सदस्य मौके पर मौजूद रहे।