फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। अखिल भारतीय लोधी लोध महासभा के तत्वावधान में शुक्रवार को पूर्व सांसद स्वामी ब्रह्मानंद की 40वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन शीशमबाग फतेहगढ़ में रमेश चन्द्र राजपूत फौजी के आवास पर सम्पन्न हुआ। समाज के लोगों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पहुंचे अतिथि के रुप में महासभा के प्रदेश महामंत्री परशुराम वर्मा ने बताया कि हमारे प्रवर संत स्वामी ब्रह्मानंद का जन्म हमीरपुर जिले की राठ तहसील के बरहरा गांव में साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता मातादीन लोधी व माता जशोदाबाई थीं तथा प्रारंभिक शिक्षा हमीरपुर में मिली। उन्होंने बचपन से ही समाज में फैले अंधविश्वास, अशिक्षा तथा अनेकों कुरीतियों का डटकर विरोध किया और घर पर रहकर ही रामायण, गीता, उपनिषदों, शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। स्वामी ने 24 वर्ष की आयु में पुत्र और पत्नी का मोह त्याग गेरु, वस्त्र धारण कर हरिद्वार में हर की पौड़ी पर सन्यास की दीक्षा ली। 1921 में महात्मा गांधी से भेंट कर स्वतंत्रता-संग्राम आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने नारा दिया था कि उठो वीरों दासता की जंजीरों को तोड़ दो, दासता के जीवन से मृत्यु कहीं श्रेयस्कर है, आंदोलन के दौरान कई बार जेल गए। बुंदेलखंड में 1938 से शिक्षा की अलख जगाई और उच्च शिक्षा हेतु कई विद्यालयों की स्थापना की। पहली बार जनसंघ से लोकसभा हमीरपुर से 1967 में भारी मतों से रिकार्ड जीत दर्ज की। 1977 तक दस साल सांसद रहे, विशेष रूप से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपने हाथ से पैसा न छूने का प्रण लिया और मरते दम तक प्रण का पालन किया। 13 सितंबर 1984 को बृह्मलीन हो गये । प्रेमपाल सिंह ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानन्द हमेशा ही गरीबों की लड़ाई लडऩे के कारण बुंदेलखंड के मालवीय से प्रख्यात हुए। उनके शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय उदाहरण हैं। जिलाध्यक्ष महेशचंद्र राजपूत ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी के पदचिन्हों पर चलने की जरूरत है, तभी हम सभी विकास के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। इस अवसर पर बेचेलाल वर्मा, रामलड़ैते राजपूत, फौजी वीरेंद्र सिंह राजपूत, अनिल राजपूत, डा0 धर्मेन्द्र सिंह राजपूत, विक्रांत सिंह राना, रामरहीस राजपूत, प्रदीप लोधी, नरेन्द्र सिंह राजपूत, अरविन्द राजपूत, राकेश सिंह, रामसरकार राजपूत, महिपाल सिंह लोधी, लालाराम राजपूत, रमेशचन्द्र राजपूत, अजय राजपूत आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता जवाहर सिंह राजपूत ने की व संचालन महेशचंद्र राजपूत ने किया।