फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। कमालगंज नगर स्थित आर्य समाज मंदिर में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। नगरवासियों वेद कथा का श्रवण किया। सर्वप्रथम यज्ञ का आयोजन किया गया। आर्य समाज के पुरोहित आचार्य संदीप आर्य ने वैदिक ऋचाओं से यज्ञ समपन्न कराया। यज्ञ के उपरांत आचार्य ने अपने उपदेश में कहा माता-पिता का सन्तान के ऊपर बहुत बड़ा ऋण होता है। जिससे कभी कोई मुक्त नहीं हो सकता। ये हमारे मूल होते हैं इनसे अलग होकर संतान कभी सुखी नहीं रह सकती। माता पिता की सेवा सुश्रुता को ऋषियों ने पितृयज्ञ की संज्ञा दी है। जीवित माता-पिता की सेवा करना ही सच्चा श्राद्ध है। संतान की सेवा से तृप्त होकर जो पितर हमें आशीर्वाद देते हैं वही सच्चा तर्पण है। परन्तु आज अज्ञानतावश समाज में बहुत सारे अवैदिक कार्य प्रचलित हो गए जिनका हमारे जीवित पितरों से कोई सम्बंध नहीं। मृत्यु उपरांत किसी भी आडंबर की कोई आवश्यकता नहीं। इससे बड़ा कोई आश्चर्य नहीं होगा कि जिस देश में मृतक पूर्वजों को तो भोजन दिया जाता हो, परन्तु जीवित माता-पिता के लिए निरंतर वृद्धाश्रम खुलते जा रहे हैं। जिसका जिम्मेदार भौतिवादी मानसिकता और समाज में व्याप्त अविद्या है यदि हमने अपने ऋषियों की बात मानी होती तो ऐसी परिस्थिति नहीं आती। आज आवश्यकता है कि हम संयुक्त परिवारों की व्यवस्था की ओर वापस लौटें तथा वेदों में वर्णित व्यवस्था का पालन करें। अशोक आर्य व साहिल कुमार ने यज्ञ महिमा के गीत सुनाए। समाज द्वारा संचालित एमडीएस लाइब्रेरी के छात्रों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में राहुल राजपूत, सुमित, सत्यभान, कमल सिंह, अहिलकार, संग्राम सिंह, सोनम आदि उपस्थित रहे।